क्या आज भी आपातकाल है, लेकिन कांग्रेस में?

सारांश
Key Takeaways
- आपातकाल लोकतंत्र के लिए खतरा होता है।
- कांग्रेस में आपातकाल की स्थिति है।
- लोकतंत्र की खूबसूरती में हर नागरिक की आवाज महत्वपूर्ण है।
- आपातकाल के समय लोगों के अधिकार सीमित हो जाते हैं।
- एक नागरिक के नाते हमें अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।
लखनऊ, २५ जून (राष्ट्र प्रेस)। पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने बुधवार को आपातकाल के ५० वर्ष पूरे होने पर कहा कि आपातकाल किसी भी लोकतांत्रिक देश में लगाई जाए, इसकी संभावना नगण्य है, लेकिन यदि किसी लोकतांत्रिक देश में इमरजेंसी लगाई जा रही है, तो यह स्पष्ट है कि वहां लोकतंत्र अब समाप्त हो चुका है।
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कांग्रेस पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि आज भी आपातकाल मौजूद है, लेकिन यह आपातकाल "देश में नहीं, बल्कि कांग्रेस में" है। कांग्रेस के नेता अब इस बात को भली-भांति समझ रहे हैं, जिसके कारण देश की जनता इस पार्टी को पूरी तरह से खारिज कर रही है। पार्टी की विश्वसनीयता अब लोगों के बीच पूरी तरह खत्म हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में आप किसी भी मुद्दे पर अपनी बात रख सकते हैं। आप किसी मुद्दे पर विरोध जता सकते हैं या उसके समर्थन में खड़े हो सकते हैं। यही लोकतंत्र की खूबी है, जिससे किसी देश में लोकतंत्र मजबूत होता है। वर्तमान में देश में ऐसी स्थिति है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि लोकतंत्र बहाल है, क्योंकि लोगों को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है। लेकिन आपातकाल के समय ऐसा नहीं था। आपातकाल इस देश का सबसे काला दिन था, जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया जानती है कि इंदिरा गांधी ने आपातकाल क्यों लगाया था। हर साल जब २५ जून आता है, तो लोग इस पर अपनी बात खुलकर रखते हैं और इस पर बड़े संपादकीय लिखते हैं। आज लोकतंत्र है, तो सभी को अपनी बात रखने का पूरा हक है। यह लोकतंत्र की खूबसूरती है और एक नागरिक के नाते हमारा कर्तव्य है कि हम इस खूबसूरती को बनाए रखें।