क्या बुनियादी बातों से ध्यान भटकाने के लिए घुसपैठ का मुद्दा उठाया जा रहा है?: अधीर रंजन चौधरी

सारांश
Key Takeaways
- घुसपैठ का मुद्दा गंभीर है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
- सरकार को संविधान के अनुसार कार्य करना चाहिए।
- जनता को अपने अधिकारों के लिए जागरूक रहना चाहिए।
- राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठकर समाज की भलाई के लिए काम करना चाहिए।
- स्थिरता और सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
मुर्शिदाबाद, 15 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने देश में बढ़ती घुसपैठ की समस्या पर केंद्र सरकार को कड़ी आलोचना की है।
उन्होंने कहा कि घुसपैठिए जैसे दीमक भारत में प्रवेश कर रहे हैं, और यह एक पुराना पैटर्न है जिसे बार-बार नए तरीकों से उठाया जाता है। जब देश की जनता को नौकरी, कारोबार और आजीविका जैसे मूलभूत मुद्दों पर ध्यान चाहिए, तब सरकार घुसपैठ का मुद्दा उठाकर लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश करती है।
उन्होंने यह सवाल किया कि यदि घुसपैठ एक गंभीर समस्या है, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है? कोई भी भारतीय नागरिक नहीं चाहता कि घुसपैठियों को देश में प्रवेश की अनुमति मिले।
केंद्र सरकार से पूछा गया कि घुसपैठियों को सीमा पर रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? उन्होंने तंज करते हुए कहा कि कोई भी विपक्षी दल या नागरिक नहीं कहता कि घुसपैठियों को देश में आने और उनकी मेजबानी की अनुमति दी जाए। फिर भी, घुसपैठ की समस्या बनी हुई है।
अधीर रंजन चौधरी ने केंद्र सरकार की जिम्मेदारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार न तो घुसपैठ रोक पा रही है और न ही यह बता पा रही है कि देश में कितने घुसपैठिए मौजूद हैं।
उन्होंने 1999 की एक घटना का उल्लेख किया, जब वे पहली बार 13वीं लोकसभा में सांसद बने थे। उनका पहला सवाल अवैध रूप से भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों के बारे में था। उस समय के गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी भी इस सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए थे। तब से लेकर आज तक घुसपैठ का मुद्दा संसद और सड़कों पर बार-बार उठता रहा है, लेकिन इसका कोई ठोस समाधान नहीं निकला। इतनी मजबूत सरकार होने के बावजूद घुसपैठ की समस्या क्यों बरकरार है?
उन्होंने सीएए और एनआरसी जैसे कानूनों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार हर बार नए कानून बनाती है, लेकिन इनका उपयोग केवल चुनावी मौसम में जनता का ध्यान भटकाने के लिए किया जाता है।
उन्होंने चेतावनी दी कि अगले चुनाव में भी सरकार इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश करेगी, जबकि देश की जनता रोटी और रोजगार जैसे मूलभूत मुद्दों पर ध्यान चाहती है। सरकार ने घुसपैठ के मुद्दे को एक बार फिर उछालकर अगले चुनाव का आगाज़ कर दिया है, लेकिन जनता अब इन हथकंडों को समझ चुकी है।