क्या अकरकरा दांत दर्द और बुखार का रामबाण इलाज है?

सारांश
Key Takeaways
- अकरकरा दांत दर्द और सूजन के लिए फायदेमंद है।
- इसमें एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं।
- हिचकी और बुखार में भी यह सहायक है।
- उपयोग से पहले चिकित्सीय सलाह अवश्य लें।
- इसकी तासीर गर्म होती है, सावधानी आवश्यक है।
नई दिल्ली, 21 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियां हैं जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करने में सहायक मानी जाती हैं। इनमें से एक प्रमुख जड़ी-बूटी है अकरकरा। आयुर्वेदिक चिकित्सा में इसकी जड़ का चूर्ण उपयोग किया जाता है। इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए इसका सेवन करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
आकरकरा, जिसे पाइरेथ्रम रूट भी कहा जाता है, का वैज्ञानिक नाम एनासाइक्लस पाइरेथ्रम है। यह एक बारहमासी पौधा है, जिसे उत्तरी अफ्रीका, भूमध्यसागरीय क्षेत्र और भारत में पाया जाता है। विशेष रूप से यह जम्मू-कश्मीर और बंगाल में भी पाया जाता है। आकरकरा, एस्टेरेसी (सूरजमुखी) परिवार का एक जंगली पौधा है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार, अकरकरा की जड़, बीज और पत्तों के अर्क में ऐसे यौगिक होते हैं जो दर्द कम करने, सूजन घटाने और घाव भरने में सहायक होते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार, अकरकरा दांत दर्द और मसूड़ों की सूजन में त्वरित राहत प्रदान करता है। इसके चूर्ण को सरसों के तेल में मिलाकर लगाने या लौंग के तेल के साथ उपयोग करने की सलाह दी जाती है। साथ ही, इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण घाव भरने में काफी सहायता कर सकते हैं। यह घाव के साथ-साथ उस हिस्से पर होने वाली सूजन को भी कम करने में मदद करता है।
अकरकरा में एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो बुखार को भी कम करने में मदद करते हैं।
हिचकी को कम करने के लिए आकरकरा को लाभदायक माना जाता है। यदि हिचकी ज्यादा परेशान करे, तो आकरकरा के चूर्ण में शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, विशेष स्थिति में आकरकरा चूर्ण को गुनगुने पानी में घोलकर भी लिया जा सकता है।
चरक संहिता में अकरकरा का उल्लेख एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में किया गया है। इसे अग्निवेश (घाव और सूजन को ठीक करने के लिए) के रूप में वर्णित किया गया है। इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं और पेट की समस्याओं से जूझ रहे लोगों को सावधान रहना चाहिए। चिकित्सीय परामर्श के बिना सेवन नहीं करना चाहिए।