क्या अखिलेश यादव इंडिया गठबंधन को मजबूत करने में सफल होंगे?

सारांश
Key Takeaways
- अखिलेश यादव की रणनीति यूपी में सपा को मजबूत करने की है।
- इंडिया गठबंधन को मजबूत करने के लिए विपक्षी एकता आवश्यक है।
- एसआईआर के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी है।
- बिहार में वोटर अधिकार यात्रा की महत्वपूर्ण भूमिका है।
- राजनीतिक सहयोग से चुनावी सफलता की संभावनाएँ बढ़ती हैं।
लखनऊ, 22 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव इंडिया गठबंधन को मजबूत करने के बहाने उत्तर प्रदेश की राजनीति की चौसर सजाने में लगे हुए हैं। वे राष्ट्रीय राजनीति में विपक्ष के रूप में अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में सपा को एक मजबूत विकल्प बनाने की दिशा में प्रयासरत हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि एसआईआर के मुद्दे पर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव विपक्षी नेताओं को एकजुट कर रहे हैं।
अखिलेश यादव भी उनकी इस मुहिम में सहयोग दे रहे हैं। वे 2027 से पहले यूपी में हर स्तर पर अपनी जमीन को मजबूत करने के लिए रणनीति बना रहे हैं। लोकसभा चुनाव में तीसरे स्थान पर आ चुकी सपा प्रमुख अखिलेश के बिहार दौरे से इंडिया गठबंधन और वोट चोरी के खिलाफ चल रहे आंदोलन को नई दिशा मिलेगी।
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव इंडिया गठबंधन के साथ अपनी पार्टी को 2027 से पहले सशक्त करने में लगे हैं। विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी का प्रभाव वोटों में परिवर्तन ला सकता है। ऐसी स्थिति में सपा अपने सहयोगियों से चुनाव समय पर बातचीत में कोई कठिनाई नहीं चाहती। बिहार में जहां कांग्रेस मजबूत है, वहां सपा एक सहायक के रूप में कार्य करेगी और यूपी में सपा के मजबूत होने पर उनकी अपेक्षा रहेगी कि कांग्रेस उनका समर्थन करे।
उन्होंने बताया कि बिहार जाकर राहुल गांधी की मुहिम में शामिल होकर यूपी को साधने की कोशिश कर रहे हैं। साथ ही यह संदेश भी दे रहे हैं कि वे इंडिया गठबंधन को मजबूत करने में लगे हैं और जब हमें आवश्यकता हो, तो आप भी हमारा साथ दें।
एक अन्य वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि संसद सत्र के दौरान विपक्षी एकता के प्रतीक के रूप में पुनरीक्षण के मुद्दे पर सभी विपक्षी एकजुट रहे। इस लय को बनाए रखने के लिए बिहार में चल रहे वोटर अधिकार यात्रा में भी राहुल, तेजस्वी के साथ अखिलेश दिखाई देंगे। यह तिकड़ी एनडीए के लिए कई चुनौतियाँ उत्पन्न कर रही है।
17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई वोटर अधिकार यात्रा, रोहतास, औरंगाबाद, गया, नवादा और नालंदा होते हुए शेखपुरा पहुंच चुकी है। एक दिन के ब्रेक के बाद यह यात्रा फिर से आगे बढ़ी है। अखिलेश यादव का इस 'वोटर अधिकार यात्रा' में शामिल होना इंडिया गठबंधन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एसआईआर के मुद्दे पर दिल्ली में विपक्ष के प्रदर्शन में भी भाग लिया था। अब वे 28 अगस्त को बिहार के सीतामढ़ी में शामिल होंगे। वे यहां से यूपी को साधने की कवायद में जुटे हैं।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता डाक्टर आशुतोष वर्मा का कहना है कि 'वोट चोरी' का मुद्दा सबसे पहले सपा ने उठाया था। 18,000 एफिडेविट के साथ सपा ने इसे प्रस्तुत किया था। लोकतंत्र को मजबूत करने और इंडिया गठबंधन की मजबूती के लिए हमारे प्रमुख वहां जा रहे हैं। आम जनता में भाजपा के प्रति रोष है, फिर भी ये लोग चुनाव जीत रहे हैं। इससे लगता है कि कहीं न कहीं इन लोगों ने सिस्टम को हाईजैक कर लिया है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सुधांशु बाजपेई का कहना है कि इंडिया गठबंधन में समाजवादी पार्टी का हिस्सा होना महत्वपूर्ण है, इसलिए वे बिहार में हिस्सा लेने जा रहे हैं। आज पूरे देश में यह स्पष्ट हुआ है कि यह सरकार वोट चोरी के माध्यम से बनी है। यह एक साझा लड़ाई है; इसके भागीदार अखिलेश बनने जा रहे हैं, क्योंकि यह लड़ाई अकेले नहीं लड़ी जा सकती। उनके शामिल होने से इस अभियान को बल मिलेगा।