क्या 4.64 करोड़ की मेगा डेवलपमेंट योजना से अलीगंज का 101 साल पुराना रविदास मंदिर बदलेगा?

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क्या 4.64 करोड़ की मेगा डेवलपमेंट योजना से अलीगंज का 101 साल पुराना रविदास मंदिर बदलेगा?

सारांश

अलीगंज का 101 साल पुराना रविदास मंदिर अब 4.64 करोड़ की मेगा डेवलपमेंट योजना के तहत नया रूप लेने जा रहा है। इस विकास कार्य से श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि और स्थानीय व्यापार में नए अवसर पैदा होंगे। जानिए इस ऐतिहासिक मंदिर के महत्व और विकास की योजना के बारे में।

Key Takeaways

  • रविदास मंदिर का विकास कार्य 4.64 करोड़ की लागत से शुरू हुआ है।
  • नए विकास से श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं में सुधार होगा।
  • स्थानीय व्यापारियों के लिए नए अवसर मिलेंगे।
  • मंदिर का ऐतिहासिक महत्व स्थानीय समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है।
  • सरकार ने इस परियोजना को अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है।

लखनऊ, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के प्राचीन रविदास मंदिर को आधुनिक रूप देने के लिए पर्यटन विभाग ने 4.64 करोड़ रुपए की योजना पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। लखनऊ में धार्मिक पर्यटन को सशक्त बनाने की दिशा में प्रमुख धार्मिक स्थलों के समग्र विकास पर कार्य किया जा रहा है। इसी क्रम में अलीगंज स्थित 101 वर्ष पुराने रविदास मंदिर का पर्यटन विकास कार्य 4.64 करोड़ रुपए की स्वीकृत योजना के तहत प्रारंभ हो चुका है। यह जानकारी प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी।

मंत्री ने बताया कि श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या और स्थानीय आस्था को ध्यान में रखते हुए मंदिर परिसर में व्यापक स्तर पर सुधार किए जा रहे हैं। विकास कार्यों में सड़क मरम्मत, पेयजल व्यवस्था, बेहतर प्रकाश व्यवस्था, श्रद्धालुओं के बैठने के लिए बेंच, जर्जर हिस्सों का पुनरुद्धार और अन्य आधुनिक पर्यटक सुविधाएं शामिल हैं। उनका कहना है कि सरकार का लक्ष्य है कि भक्तों को सुरक्षित, सुगम और श्रेष्ठ अनुभव उपलब्ध कराया जा सके। अलीगंज का रविदास मंदिर राजधानी के प्राचीन धार्मिक स्थलों में एक महत्वपूर्ण स्थल है।

मंदिर के मुख्य द्वार पर अंकित 1924 इसका प्रमाण है कि यह मंदिर 101 वर्ष पुराना है। यह स्थल लंबे समय से स्थानीय समुदाय की धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है। परिसर में स्थित तीन प्राचीन समाधियों में से एक मंदिर निर्माण से भी पुरानी मानी जाती है, जबकि दो समाधियां बाबा लीलादास और बाबा टिकाईदास की बताई जाती हैं, जो वर्षों तक यहां सेवा में रहे। मंदिर से स्थानीय लोगों का गहरा भावनात्मक रिश्ता रहा है।

मंदिर के बाहर जूतों की मरम्मत का काम करने वाले नौमी लाल बताते हैं कि उनके पिता भी इसी स्थान पर वर्षों तक कार्य करते रहे। इसी तरह मिष्ठान विक्रेता भोलानाथ का कहना है कि उनके बाबा 1931 से मंदिर के बाहर दुकान लगाते थे। इनके अनुसार संत रविदास जयंती पर हर साल यहां बड़े आयोजन होते हैं और पूरा समुदाय मिलकर मंदिर परिसर को सजाता-संवारता है।

स्थानीय व्यापारियों का मानना है कि विकास कार्यों के बाद आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में निश्चित रूप से वृद्धि होगी, जिससे व्यापार में भी नए अवसर पैदा होंगे।

पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि अलीगंज स्थित रविदास मंदिर का समेकित विकास सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। 4.64 करोड़ रुपए की परियोजना के तहत सौंदर्यीकरण, अधोसंरचनात्मक सुधार और आधुनिक सुविधाओं का विस्तार तेजी से जारी है। उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ भक्तों की सुविधा बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार और व्यापार के नए अवसर भी सृजित होंगे।

Point of View

बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।
NationPress
24/11/2025

Frequently Asked Questions

रविदास मंदिर का निर्माण कब हुआ था?
रविदास मंदिर का निर्माण 1924 में हुआ था, जो इसे 101 वर्ष पुराना बनाता है।
इस विकास योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस विकास योजना का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि करना और उन्हें बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है।
क्या इस विकास कार्य से स्थानीय व्यापार पर असर पड़ेगा?
जी हां, विकास कार्य के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि से स्थानीय व्यापार में नए अवसर पैदा होंगे।
इस योजना का बजट कितना है?
इस योजना का बजट 4.64 करोड़ रुपए है।
क्या इस विकास योजना में कौन-कौन सी सुविधाएं शामिल हैं?
इस विकास योजना में सड़क मरम्मत, पेयजल व्यवस्था, बेहतर प्रकाश व्यवस्था और बैठने की बेंच शामिल हैं।
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