क्या अमर्यादित टिप्पणी को कभी जस्टिफाई किया जा सकता है?: चिराग पासवान

सारांश
Key Takeaways
- अमर्यादित टिप्पणी को कभी जस्टिफाई नहीं किया जा सकता।
- राजनीतिक संवाद में मर्यादा बनाए रखना आवश्यक है।
- बिहार में बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट की सोच को आगे बढ़ाने का प्रयास।
- कांग्रेस और राजद की अमर्यादित भाषा की निंदा की जानी चाहिए।
- जीएसटी स्लैब में बदलाव से लोगों को राहत मिलेगी।
पटना, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ की गई अमर्यादित टिप्पणी पर राजद नेता तेजस्वी यादव के बयान का जवाब दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमर्यादित भाषा को कभी भी जस्टिफाई नहीं किया जा सकता।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि राजनीति में भारतीय भाषाओं की यही विशेषता है कि किसी भी मुद्दे को मर्यादित ढंग से बताया जा सकता है। लेकिन, अपशब्दों को कभी भी सही नहीं ठहराया जा सकता है।
चिराग पासवान ने मुजफ्फरपुर में आयोजित नवसंकल्प सम्मेलन में भाग लेते हुए कहा कि हमने शाहाबाद से नव संकल्प की शुरुआत की थी। यह कार्यक्रम बिहार के विभिन्न जिलों में आयोजित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट की सोच को आम जनता तक पहुँचाना है।
उन्होंने कहा कि एनडीए की ओर से गुरुवार को बिहार बंद रखा गया, जिस तरह से पीएम मोदी के खिलाफ अमर्यादित टिप्पणी के लिए यह बंद बुलाया गया, उसके ठीक बाद सम्मेलन का आयोजन किया गया है। सम्मेलन में हम यह बात मजबूती से रखेंगे कि किस प्रकार कांग्रेस और राजद की अमर्यादित भाषा संस्कृति बन चुकी है।
चिराग ने कहा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी जिस प्रकार से प्रधानमंत्री के लिए अपशब्द का प्रयोग करते हैं, वह बिल्कुल उचित नहीं है। नीतियों पर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री के लिए ऐसी भाषा का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। इस प्रकार की भाषा की निंदा की जानी चाहिए। पिछले लोकसभा चुनाव में जनता ने इसका जवाब दिया था, और बिहार विधानसभा चुनाव में भी जनता ऐसे शब्दों के लिए जवाब देगी।
जीएसटी स्लैब में बदलाव पर भी चिराग ने प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री सीतारमण का धन्यवाद किया, कहा कि इससे लोगों को काफी राहत मिल सकती है।
चिराग ने सीट बंटवारे पर कहा कि गठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे पर चर्चा से पहले सार्वजनिक रूप से इस पर बात करना मेरी नीति नहीं रही है। गठबंधन के भीतर सीटों का बंटवारा हो जाने के बाद ही इस पर सार्वजनिक रूप से बात होनी चाहिए। मुझे विश्वास है कि एनडीए में सभी की भावनाओं का ध्यान रखा जाएगा।