क्या केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तीन अहम बिल पेश किए, विपक्ष ने किया विरोध?

सारांश
Key Takeaways
- संविधान संशोधन के लिए नए बिल पेश किए गए हैं।
- विपक्ष ने तीव्र विरोध किया है।
- बिलों का उद्देश्य राजनीतिक पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।
- आपराधिक मामलों में आरोपी पाए जाने पर इस्तीफे की आवश्यकता होगी।
- संसद में संयुक्त संसदीय समिति में भेजने की सिफारिश की गई है।
नई दिल्ली, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को संसद के मानसून सत्र में तीन महत्वपूर्ण बिल प्रस्तुत किए। इन बिलों में मुख्य रूप से संविधान (एक सौ तीसवां संशोधन) विधेयक, 2025, संघ राज्य क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बिलों को पेश करते हुए कहा कि भारत के संविधान में संशोधन करने वाले विधेयक को पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी प्रस्तावित किया कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन करने वाले विधेयक को भी पुनर्स्थापित किया जाए। इसके साथ ही, संघ राज्य क्षेत्र शासन अधिनियम 1963 में संशोधन के लिए भी प्रस्ताव रखा गया।
इन तीनों बिलों को लोकसभा में पेश करने के बाद, केंद्रीय गृह मंत्री ने इन्हें संयुक्त संसदीय समिति में भेजने की सिफारिश की। इस पर विपक्षी दलों ने संसद में तीव्र विरोध जताया। उन्होंने इस बिल की कॉपी फाड़कर अमित शाह की ओर फेंक दी।
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि अमित शाह ने अपनी नैतिकता का प्रदर्शन कब किया था? इस पर अमित शाह ने जवाब दिया कि जब उन्हें झूठे मामलों में गिरफ्तार किया गया था, तब उन्होंने इस्तीफा देकर अपनी नैतिकता दिखाई। कोर्ट से निर्दोष साबित होने तक उन्होंने किसी भी संवैधानिक पद की जिम्मेदारी नहीं ली।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लोकसभा में पेश किए गए बिल का मुख्य उद्देश्य है कि यदि कोई केंद्रीय मंत्री, राज्य का मुख्यमंत्री या केंद्र शासित प्रदेश का मुख्यमंत्री किसी आपराधिक मामले में आरोपी पाया जाता है, तो उसे तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना होगा। हालांकि, इस बिल का विपक्ष द्वारा विरोध किया जा रहा है।