क्या अमजद खान सिर्फ गब्बर थे, या एक अमर नायक-खलनायक?

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क्या अमजद खान सिर्फ गब्बर थे, या एक अमर नायक-खलनायक?

सारांश

अमजद खान का नाम भारतीय सिनेमा के खलनायकों में अमर है। गब्बर सिंह से लेकर नवाब वाजिद अली शाह तक, उन्होंने कई यादगार किरदार निभाए हैं। उनके संवाद और अभिनय आज भी दर्शकों के दिलों में बसी हुई हैं। जानिए उनके जीवन की अनकही कहानियाँ और उनके योगदान के बारे में।

Key Takeaways

  • अमजद खान का गब्बर सिंह का किरदार आज भी अमर है।
  • उन्होंने खलनायक के किरदार में गहराई और ग्लैमर का संयोजन किया।
  • उनकी बहुआयामी प्रतिभा ने उन्हें कई प्रकार की भूमिकाओं में पहचान दिलाई।
  • अमजद खान एक सामाजिक रूप से सजग व्यक्ति थे।
  • उनका योगदान भारतीय सिनेमा में हमेशा याद रखा जाएगा।

नई दिल्ली, 26 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। ‘अरे ओ सांभा… कितने आदमी थे?’ यह केवल एक संवाद नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा के इतिहास की एक अमिट छाप है। इस संवाद के पीछे का चेहरा केवल खौफ नहीं, बल्कि एक ऐसी प्रतिभा है जिसका नाम है अमजद खान, जो आज भी सिनेमा प्रेमियों के दिलों में जिंदा है।

12 नवंबर 1940 को जन्मे अमजद खान, 27 जुलाई 1992 को हमें छोड़ गए, लेकिन उनके द्वारा निभाए गए किरदार, उनकी आवाज और संवाद आज भी हमारे साथ हैं। उन्होंने ‘शोले’, ‘शतरंज के खिलाड़ी’, ‘मुकद्दर का सिकंदर’, ‘याराना’ और ‘चमेली की शादी’ जैसी फिल्मों में अपने अद्वितीय अभिनय से दर्शकों को मोहित किया।

अमजद खान ने खलनायक के किरदार में जो गहराई भरी, वह अद्वितीय थी। उनके पिता, जयंत, एक प्रसिद्ध अभिनेता रहे हैं, जिससे उन्हें अभिनय की बारीकियों का पूर्वाभ्यास मिला। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक बाल कलाकार के रूप में की और धीरे-धीरे रंगमंच से फिल्मी दुनिया तक अपनी पहचान बनाई।

1975 में रेमेश सिप्पी की फिल्म ‘शोले’ में गब्बर सिंह का किरदार उन्हें एक घरेलू नाम बना गया। गब्बर के लिए उन्होंने ‘अभिशप्त चंबल’ नामक किताब पढ़ी ताकि वह असली डाकुओं की मानसिकता को समझ सकें। गब्बर सिंह भारतीय सिनेमा का पहला ऐसा खलनायक बने जिसने बुराई को ग्लैमर और शैली दी।

उनके संवाद जैसे ‘कितने आदमी थे?’, ‘जो डर गया समझो मर गया’, और ‘तेरा क्या होगा कालिया’ आज भी लोगों की जुबान पर हैं। गब्बर सिंह का यह किरदार इतना मशहूर हुआ कि अमजद खान को बिस्किट जैसे उत्पादों के विज्ञापन में भी उसी रूप में दिखाया गया। यह पहली बार था जब किसी खलनायक को ब्रांड एंडोर्समेंट के लिए उपयोग किया गया।

अमजद खान सिर्फ ‘गब्बर’ नहीं थे। उनकी बहुआयामी प्रतिभा ने उन्हें गंभीर, हास्य और सकारात्मक भूमिकाओं में भी दर्शकों का दिल जीतने में मदद की। सत्यजित रे की फिल्म ‘शतरंज के खिलाड़ी’ में नवाब वाजिद अली शाह का किरदार उनके शाही ठहराव का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। वहीं, ‘मीरा’ में अकबर की भूमिका को उन्होंने जिस गरिमा से निभाया, वह ऐतिहासिक पात्रों के चित्रण में एक मानक बन गया।

उन्हें ‘याराना’ और ‘लावारिस’ जैसी फिल्मों में सकारात्मक किरदारों में भी देखा गया, जबकि ‘उत्सव’ में वात्स्यायन के किरदार ने उनके अभिनय की गहराई को उजागर किया। उनके हास्य अभिनय के उदाहरण ‘कुर्बानी’, ‘लव स्टोरी’, और ‘चमेली की शादी’ जैसी फिल्मों में मिलते हैं।

पर्दे के बाहर, अमजद खान एक बुद्धिमान, संवेदनशील और सामाजिक रूप से सजग व्यक्ति थे। कॉलेज के दिनों से ही उन्होंने नेतृत्व का गुण विकसित किया और बाद में ‘एक्टर गिल्ड’ के अध्यक्ष के रूप में कलाकारों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई। कई बार उन्होंने कलाकारों और निर्माताओं के बीच मध्यस्थता कर समाधान निकाले। यह पहलू शायद आम दर्शकों के सामने नहीं आता, लेकिन फिल्म उद्योग में उन्हें अपार सम्मान दिलाता था।

वह एक समर्पित पारिवारिक व्यक्ति थे। 1972 में उन्होंने शायला खान से विवाह किया, जो प्रसिद्ध लेखक अख्तर उल इमान की बेटी थीं। उनके तीन संतानें हैं— शादाब, अहलम, और सिमाब। शादाब खान ने भी पिता की राह पर चलने का प्रयास किया, लेकिन अमजद खान जैसी छवि बनाना किसी के लिए भी संभव नहीं था।

1980 के दशक में उन्होंने ‘चोर पुलिस’ और ‘अमीर आदमी गरीब आदमी’ जैसी फिल्मों का निर्देशन भी किया, लेकिन निर्देशन में उन्हें वैसी सफलता नहीं मिली जैसी अभिनय में। 1976 में एक गंभीर सड़क दुर्घटना के बाद उनकी सेहत प्रभावित हुई। उन्हें दिए गए स्टेरॉयड के कारण उनका वजन बढ़ता गया, जो उनके स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक साबित हुआ। अंततः, 27 जुलाई 1992 को हृदयगति रुकने से उनका निधन हो गया।

उनकी अंतिम यात्रा में बॉलीवुड के तमाम दिग्गज शामिल हुए। उनकी शवयात्रा जब बांद्रा की गलियों से निकली, तो मानो पूरा हिंदी सिनेमा उनके सम्मान में सिर झुकाए खड़ा था।

आज के दौर में अमजद खान केवल एक अभिनेता के रूप में नहीं, बल्कि एक युग के प्रतीक के रूप में देखे जाते हैं—एक ऐसा युग जिसने खलनायकों को भी वही शोहरत दी जो नायकों को मिलती है। एक ऐसा अभिनेता जिसने स्क्रीन पर अपनी भारी कद-काठी और गहरी आवाज से दर्शकों को डरा भी दिया, हंसाया भी और सोचना भी मजबूर किया।

अमजद खान अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके संवाद, उनकी छवि और उनका अभिनय हमेशा के लिए अमर हो गए हैं। भारतीय सिनेमा के सबसे महान खलनायकों में से एक होने के साथ-साथ, वो एक संवेदनशील अभिनेता, जिम्मेदार नेता और एक बेहतरीन इंसान थे।

Point of View

जो आज भी नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा स्रोत है। उनके द्वारा निभाए गए किरदारों की गहराई और बहुआयामी प्रतिभा ने उन्हें एक अद्वितीय स्थान दिलाया।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

अमजद खान का सबसे प्रसिद्ध किरदार कौन सा है?
अमजद खान का सबसे प्रसिद्ध किरदार गब्बर सिंह है, जो उन्होंने फिल्म 'शोले' में निभाया था।
अमजद खान ने कब निधन लिया?
अमजद खान का निधन 27 जुलाई 1992 को हुआ।
अमजद खान ने किन फिल्मों में काम किया?
अमजद खान ने 'शोले', 'शतरंज के खिलाड़ी', 'याराना', 'चमेली की शादी' जैसी कई प्रसिद्ध फिल्मों में काम किया।
क्या अमजद खान ने निर्देशन भी किया?
हाँ, अमजद खान ने 'चोर पुलिस' और 'अमीर आदमी गरीब आदमी' जैसी फिल्मों का निर्देशन किया।
अमजद खान किस प्रकार के अभिनेता थे?
अमजद खान एक बहुआयामी अभिनेता थे, जिन्होंने न केवल खलनायक बल्कि सकारात्मक और हास्य भूमिकाओं में भी अपनी अदाकारी दिखाई।