क्या आपका मूलांक जानता है कौन-सा मंत्र आपके लिए फलदायी है?
सारांश
Key Takeaways
- मूलांक 1 से 9 के बीच किसी भी संख्या के लिए विशेष मंत्र हैं।
- मंत्रों का रोजाना उच्चारण करने से जीवन में सकारात्मकता आती है।
- प्रत्येक मूलांक का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है।
- सही मंत्र का जाप करने से आत्मविश्वास बढ़ता है।
- मंत्र का जाप मानसिक संतुलन और शांति प्राप्त करने में मदद करता है।
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। किसी भी व्यक्ति के जीवन पर उसकी जन्मतिथि का अद्भुत प्रभाव होता है। अंक ज्योतिष के अनुसार, जन्मतिथि को मूलांक 1 से 9 के बीच वर्गीकृत किया गया है, और प्रत्येक मूलांक के लिए एक विशिष्ट मंत्र निर्धारित किया गया है। इन मंत्रों का रोजाना उच्चारण करने से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और जीवन में संतुलन प्राप्त होता है।
यदि आपका मूलांक 1 है, तो आप सूर्य के प्रभाव में हैं। इसलिए आपको 'ऊं सूर्याय नमः' का जाप करना चाहिए। इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और आपको नई ऊर्जा मिलेगी।
यदि आपका मूलांक 2 है, तो आप चंद्रमा के प्रभाव में हैं। इसके लिए 'ऊं चंद्राय नमः' या 'ऊं हिराम नमो अरिहंताणं' मंत्र का जाप करना लाभकारी है। यह मानसिक शांति, भावनात्मक संतुलन और संबंधों में मधुरता लाता है।
मूलांक 3 वाले व्यक्ति का प्रतिनिधित्व बृहस्पति करते हैं। ऐसे जातकों को 'ऊं गुरुवे नमः' या गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे ज्ञान, सफलता और बुद्धि में वृद्धि होगी।
मूलांक 4 वाले लोगों का संबंध राहु से है। इनके लिए 'ऊं रां राहवे नमः' का मंत्र उपयोगी है, जो जीवन में अनचाही परेशानियों और भय को दूर करता है।
मूलांक 5 वाले लोग बुध के प्रभाव में होते हैं। इनके लिए 'ऊं ब्रां बूं बं बोधाय नमः' या 'ऊं गणपतये नमः' का जाप व्यवसाय, करियर और मानसिक स्पष्टता बढ़ाता है।
मूलांक 6 के जातकों पर शुक्र का प्रभाव रहता है। ऐसे लोग 'ऊं ह्रीं श्रीं शुक्राय नमः' का जाप करें। यह संबंधों में प्रेम, सौंदर्य और समृद्धि लाने वाला मंत्र है।
मूलांक 7 वाले लोग केतु के प्रभाव में रहते हैं। इनके लिए 'ऊं गं गणपतये नमः' या 'ऊं केतवे नमः' उपयोगी है, जो मानसिक स्थिरता और बाधाओं को दूर करता है।
मूलांक 8 शनि से जुड़ा अंक है। इनके लिए 'ऊं शं शनैश्चराय नमः' या 'नीलांजनसमाभासं, तम नमामि शनैश्चरम्' मंत्र लाभकारी है। यह जीवन में धैर्य, अनुशासन और स्थिरता लाता है।
वहीं, मूलांक 9 वाले व्यक्ति मंगल के प्रभाव में होते हैं। इनके लिए 'ऊं अं अग्नये नमः' या 'ऊं क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः' मंत्र ऊर्जा, साहस और शक्ति बढ़ाता है।