क्या इंदिरा गांधी ने संविधान को ताक पर रखा था और राहुल गांधी उसे जेब में रखते हैं?

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क्या इंदिरा गांधी ने संविधान को ताक पर रखा था और राहुल गांधी उसे जेब में रखते हैं?

सारांश

मोतीहारी में कार्यक्रम के दौरान अनुराग ठाकुर ने इंदिरा गांधी के आपातकाल पर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने राहुल गांधी पर भी कटाक्ष किया, कहा कि संविधान उनके लिए मात्र एक औपचारिकता है। यह लेख आपको उस समय के राजनीतिक परिदृश्य में ले जाएगा जब भारतीय लोकतंत्र को खतरा था।

Key Takeaways

  • आपातकाल भारतीय लोकतंत्र का एक काला अध्याय है।
  • इंदिरा गांधी ने संविधान का उल्लंघन किया।
  • राहुल गांधी की राजनीतिक नैतिकता पर सवाल उठते हैं।
  • लालू यादव का समझौता लोकतंत्र के साथ धोखा है।
  • लोकतंत्र की रक्षा के लिए हमेशा सतर्क रहना चाहिए।

मोतिहारी, २५ जून (राष्ट्र प्रेस)। पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बुधवार को कांग्रेस द्वारा लगाए गए आपातकाल के ५० वर्ष पूरे होने पर बिहार के मोतिहारी और मुजफ्फरपुर में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने केंद्र में मुख्य विपक्षी दल पर तीखा हमला किया।

अनुराग ठाकुर ने आपातकाल के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने मोतिहारी में छात्रों के मॉक पार्लियामेंट का उद्घाटन, आरडीके होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में आपातकाल के ५० वर्ष पर संगोष्ठी और वृक्षारोपण, तथा अटल पार्क में आपातकाल पर प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

भाजपा नेता ने कहा, “आज से ठीक ५० साल पहले कांग्रेस की दमनकारी नीतियों और तानाशाही मानसिकता ने २५ जून १९७५ को आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र पर एक ऐसा धब्बा लगाया जो कभी नहीं मिट सकता। अपनी महत्वाकांक्षा के चलते लाखों निरपराध लोगों को जेलों में ठूंस दिया गया, प्रेस की आजादी पर ताला लगा दिया गया, और लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी छीन ली गई।”

उन्होंने कहा कि देशहित से ऊपर एक परिवार और एक व्यक्ति के अहंकार को रखा गया। आपातकाल के खिलाफ लाखों लोगों ने आंदोलन किया था। सत्ता के साथ ही न्यायिक व्यवस्था पर भी इंदिरा गांधी नियंत्रण करने की कोशिश कर रही थीं। कोर्ट के आदेश के बावजूद उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया।

अनुराग ठाकुर ने कहा कि इंदिरा गांधी ने संविधान को ताक पर रखा था जबकि राहुल गांधी उसे जेब में रखते हैं। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान देशभर में आंतरिक सुरक्षा कानून के तहत 1,40,000 लोगों को बिना मुकदमा चलाए जेलों में डाल दिया गया। इस दौरान एक परिवार और एक व्यक्ति के अहंकार को देशहित से ऊपर रखा गया। 1975 का आपातकाल भले ही ५० साल पुराना हो चुका हो, लेकिन कांग्रेस के “अन्याय, अत्याचार और तानाशाही” की यादें अब भी सभी के मन में ताजा हैं। आपातकाल लगाकर तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भारतीय लोकतंत्र को लहूलुहान किया था। इसके विरोध में जेपी के हुंकार पर पूरा देश उबला था। लेकिन दुर्भाग्य से इसी आंदोलन से जन्मे लालू यादव ने बाद में कुर्सी बचाने के लिए उस कांग्रेस से समझौता कर लिया जो लोकतंत्र और संविधान को कुचलने वाली थी।

उन्होंने कहा कि लालू यादव वास्तव में लोकनायक जयप्रकाश नारायण, डॉ. राममनोहर लोहिया और कर्पूरी ठाकुर के असली गुनहगार हैं। भ्रष्टाचार, परिवारवाद और वंशवाद की बुनियाद पर खड़ा लालू का समाजवाद एक धोखा और दिखावा है।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम लोकतंत्र की रक्षा के लिए सतर्क रहें। आपातकाल के दौरान जो हुआ, वह न केवल एक राजनीतिक घटना थी, बल्कि यह देश के लोकतांत्रिक मूल्यों पर एक गहरा आघात था। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इतिहास के सबक हमें आगे बढ़ने में मदद करें।
NationPress
25/06/2025

Frequently Asked Questions

आपातकाल के दौरान क्या हुआ था?
आपातकाल के दौरान कांग्रेस सरकार ने अनेक निरपराध लोगों को जेलों में डाल दिया, प्रेस की आजादी को प्रतिबंधित किया और जनता की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगा दी।
क्यों कहा जाता है कि इंदिरा गांधी ने संविधान को ताक पर रखा?
इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान अपने शक्ति के दुरुपयोग के लिए संविधान का उल्लंघन किया, जिससे भारतीय लोकतंत्र को नुकसान पहुँचा।
अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी के बारे में क्या कहा?
अनुराग ठाकुर ने कहा कि राहुल गांधी संविधान को अपने जेब में रखते हैं, जो उनकी राजनीतिक नैतिकता को दर्शाता है।
क्या लालू यादव ने कांग्रेस से समझौता किया?
हां, लालू यादव ने उन मूल्यों को त्याग दिया जो उन्होंने पहले अपने आंदोलन के दौरान उठाए थे।
आपातकाल का प्रभाव क्या था?
आपातकाल ने भारतीय लोकतंत्र पर गहरा आघात किया और यह जनता के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा कैसे की जानी चाहिए।