क्या सेना प्रमुख आर्टिलरी सम्मेलन में 'ऑपरेशन सिंदूर' के सबक पर चर्चा करने पहुंचे?
सारांश
Key Takeaways
- आर्टिलरी सम्मेलन में 'ऑपरेशन सिंदूर' से मिली सीखों पर चर्चा हुई।
- शक्तिबान रेजिमेंट्स का गठन भविष्य के युद्धों के लिए किया गया है।
- आधुनिक हथियार प्रणालियों का समावेश आवश्यक है।
- हाइब्रिड प्रारूप में सम्मेलन ने व्यापक सहभागिता सुनिश्चित की।
- प्रशिक्षण सुधार और मानव संसाधन विकास पर जोर दिया गया।
नई दिल्ली, 12 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सेना के आर्टिलरी स्कूल में एक महत्वपूर्ण आर्टिलरी सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में 'ऑपरेशन सिंदूर' से प्राप्त सबक और आधुनिकीकरण पर चर्चा की गई। सम्मेलन के दौरान 'ऑपरेशन सिंदूर' से मिली ऑपरेशन सीखों पर गहन विचार-विमर्श किया गया। साथ ही, भारतीय सेना में तकनीकी प्रगति, आधुनिक हथियार प्रणालियों के समावेश, संरचनात्मक सुधार और भविष्य की क्षमताओं पर भी चर्चा की गई।
यह द्विवार्षिक आर्टिलरी सम्मेलन देवलाली में 11 और 12 दिसंबर को आयोजित किया गया। सेना के अनुसार, यह सम्मेलन हाइब्रिड प्रारूप में हुआ। इस महत्वपूर्ण आयोजन की अध्यक्षता थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने की। सम्मेलन में आर्टिलरी रेजिमेंट के वरिष्ठ अधिकारियों ने ऑपरेशनल, आधुनिकीकरण और संगठनात्मक परिवर्तन से जुड़ी प्राथमिकताओं की व्यापक समीक्षा की। ऑपरेशन सिंदूर से मिले सबक और आधुनिकीकरण पर गहन मंथन किया गया। इस दौरान शक्तिबान रेजिमेंट्स और दिव्यस्त्र बैटरियों के पुनर्गठन और गठन को विशेष महत्व दिया गया।
शक्तिबान रेजिमेंट्स भविष्य के युद्धों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई हैं और ये ड्रोन, काउंटर ड्रोन सिस्टम और लोइटर म्यूनिशन जैसे अत्याधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस हैं। यह रेजिमेंट आर्टिलरी की शक्ति में एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम है। इस सम्मेलन में आर्टिलरी आधुनिकीकरण रोडमैप की प्रस्तुति भी दी गई।
लेफ्टिनेंट जनरल अदोष कुमार, डायरेक्टर जनरल आर्टिलरी, तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने आर्टिलरी के आधुनिकीकरण कार्यक्रम, प्रशिक्षण सुधार और मानव संसाधन विकास पर विस्तृत जानकारी साझा की। यह प्रस्तुति रेजिमेंट के सतत परिवर्तन और भविष्य की दिशा तय करने में अत्यंत उपयोगी साबित हुई। हाइब्रिड प्रारूप के माध्यम से 25 आउटस्टेशन लोकेशन्स में तैनात अधिकारियों और जेसीओ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस सम्मेलन में भाग लिया। इससे व्यापक सहभागिता और समग्र मूल्यांकन सुनिश्चित हुआ।
सेना प्रमुख ने देवलाली स्थित ड्रोन एक्सपीरियंस सेंटर में आधुनिक प्रशिक्षण सुविधाओं का निरीक्षण किया। उन्हें बताया गया कि यहाँ सिम्युलेटर लैब, इनक्यूबेशन सेंटर और ड्रोन मैन्यूवर एरीना के माध्यम से प्रशिक्षुओं को मिशन प्लानिंग, निगरानी और लक्ष्यभेदन से जुड़ा प्रशिक्षण दिया जाता है। ड्रोन संचालन, लोइटर म्यूनिशन और मिनी-आरपीएस मॉड्यूल के लाइव डेमो भी प्रस्तुत किए गए।
जनरल द्विवेदी ने प्रशिक्षकों की पेशेवर दक्षता की सराहना की और कहा कि ऐसी अत्याधुनिक क्षमताएँ आधुनिक युद्धक्षेत्र में सेना की तैयारी को अधिक मजबूत बनाती हैं। सेना प्रमुख ने नासिक स्थित कॉम्बैट आर्मी एविएशन ट्रेनिंग स्कूल का भी निरीक्षण किया और उसकी संचालन तैयारियों की समीक्षा की।
दौरे के अंत में, जनरल द्विवेदी ने नासिक और देवलाली सैन्य स्टेशनों के पूर्व सैनिकों से संवाद किया। उन्होंने पूर्व सैनिकों के उत्कृष्ट योगदान और रेजिमेंट से निरंतर जुड़े रहने की भावना की सराहना की। इस अवसर पर उन्होंने पांच वयोवृद्धों को वेटरन अचीवर्स अवार्ड प्रदान किए।