क्या औरंगजेब को 'पवित्र' कहना सही है? आसिफ शेख की टिप्पणी पर मनोज तिवारी की प्रतिक्रिया

सारांश
Key Takeaways
- आसिफ शेख की टिप्पणी ने राजनीतिक विवाद खड़ा किया है।
- मनोज तिवारी ने शेख की सोच की आलोचना की है।
- भारतीय इतिहास और संस्कृति का सम्मान आवश्यक है।
- पाकिस्तानी कलाकारों को भारतीय फिल्मों में नहीं लिया जाना चाहिए।
- राजनीतिक बयानों का असर समाज में गहरा होता है।
मुंबई, 23 जून (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के पूर्व विधायक आसिफ शेख औरंगजेब से संबंधित अपनी विवादास्पद टिप्पणी के चलते चर्चा में हैं। उन्होंने मुगल शासक को 'पवित्र' कहकर कई दलों, खासकर भाजपा, की तीखी आलोचना का सामना किया।
शेख ने कहा कि औरंगजेब सभी धर्मों का सम्मान करते थे और उन्होंने सभी समुदायों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे। इसके साथ ही उन्होंने राजनीतिक विमर्श की आलोचना करते हुए कहा कि वर्तमान में औरंगजेब को बदनाम करना और उसके नाम पर वोट बटोरना हो रहा है।
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने शेख के विचारों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह कांग्रेस की असली विचारधारा का परिचायक है।
हालांकि, शेख अब कांग्रेस से जुड़े नहीं हैं। उन्होंने पिछले साल इंडियन सेक्युलर लार्जेस्ट असेंबली ऑफ महाराष्ट्र (इस्लाम) नामक अपनी पार्टी का गठन किया था।
मनोज तिवारी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि यह व्यक्ति औरंगजेब को पवित्र कह रहा है। क्या इसका मतलब यह है कि उसने छत्रपति शिवाजी महाराज और उनके बेटे संभाजी महाराज के साथ जो व्यवहार किया, वह उचित था?
तिवारी ने आगे कहा कि जो भी औरंगजेब का इतिहास पढ़ेगा, वह डर जाएगा। हर भारतीय जो मानवता को महत्व देता है, औरंगजेब द्वारा किए गए अत्याचारों को याद करके गुस्से से कांप उठता है। संभाजी महाराज की क्रूर यातनाओं से लेकर मंदिरों के विनाश, जबरन धर्मांतरण और महिलाओं के अपमान तक, उसने कई अक्षम्य अपराध किए। अगर कोई नेता ऐसे व्यक्ति को 'पवित्र' कहता है, तो यह उस पार्टी की गहरी आहत भावना को दर्शाता है।
तिवारी ने दिलजीत दोसांझ के विवाद पर भी चर्चा की, जो अपनी फिल्म सरदार जी 3 में पाकिस्तानी अभिनेत्री हनिया आमिर को लेने को लेकर आलोचना झेल रहे हैं। यह निर्णय जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद लिया गया, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए थे।
मनोज तिवारी ने कहा कि पाकिस्तानी कलाकारों के साथ कोई सांस्कृतिक संबंध या सहयोग नहीं होना चाहिए। यह पूरे देश की भावना है, खासकर हमारे सैनिकों के बलिदान के बाद।