क्या असम में बहुविवाह के खिलाफ कानून से समाज में सुधार होगा?

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क्या असम में बहुविवाह के खिलाफ कानून से समाज में सुधार होगा?

सारांश

असम विधानसभा ने 'बहुविवाह निषेध विधेयक-2025' पारित किया है। भाजपा नेताओं ने इस कानून की सराहना करते हुए इसे समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया है। क्या यह समाज में सुधार लाने में सफल होगा? जानें इस विधेयक के बारे में और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।

Key Takeaways

  • असम विधानसभा ने 'बहुविवाह निषेध विधेयक-2025' पारित किया।
  • भाजपा नेताओं ने इसे महत्वपूर्ण कदम बताया।
  • दूसरी शादी पर 10 साल जेल की सजा का प्रावधान।
  • अनुसूचित जनजातियों को विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है।
  • यह विधेयक सामाजिक सुधार की दिशा में एक प्रयास है।

नई दिल्ली, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। असम विधानसभा ने 'बहुविवाह निषेध विधेयक-2025' को पारित करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने इसकी भूरी-भूरी प्रशंसा की है। उनका कहना है कि एक से अधिक विवाह समाज के लिए एक अभिशाप हैं और इसके खिलाफ ठोस कदम उठाए जाने चाहिए।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में इस पहल को सराहते हुए कहा कि असम ने बहुविवाह की प्रथा को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होंने कहा, "पहली पत्नी के होते हुए दूसरा विवाह करना सही नहीं है। ऐसे विवाहों को समाज में मान्यता नहीं मिलनी चाहिए। असम ने इस दिशा में पहल की है, जिसके लिए बधाई।"

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने कहा, "मुझे विश्वास है कि असम के मुख्यमंत्री और राज्य सरकार ने जनसांख्यिकीय स्थिति, स्थानीय हालात और घुसपैठ के प्रभाव पर विचार कर यह निर्णय लिया है। यह एक स्वागतयोग्य फैसला है।"

दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने 'बहुविवाह निषेध विधेयक-2025' का समर्थन करते हुए कहा, "भारत की सनातन संस्कृति में हमारे परिवार के मूल्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। परिवार के विचार को न मानना गलत है। यह विधेयक असम में हमारी संस्कृति की रक्षा करेगा।"

बिहार में भाजपा की सहयोगी जदयू ने भी असम सरकार के इस निर्णय की सराहना की है। जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा, "यह एक महत्वपूर्ण निर्णय है और इससे सामाजिक विसंगतियों को दूर करने में मदद मिलेगी।"

गौरतलब है कि असम विधानसभा ने 'बहुविवाह निषेध विधेयक-2025' को पारित किया है, जिसके अंतर्गत राज्य में बहुविवाह को सजा वाला अपराध घोषित किया गया है। नए कानून के तहत, पहली शादी के चलते दूसरी शादी करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है। विधेयक में दोषियों के लिए 10 साल की जेल और जुर्माने का भी प्रावधान है। हालांकि, अनुसूचित जनजातियों और संविधान के छठे शेड्यूल के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है।

Point of View

यह महत्वपूर्ण है कि हम असम में पारित 'बहुविवाह निषेध विधेयक-2025' को एक सकारात्मक पहल के रूप में देखें। यह समाज में समानता और पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देने का एक प्रयास है। हमें ऐसे कानूनों का समर्थन करना चाहिए जो सामाजिक सुधार की दिशा में अग्रसर हों।
NationPress
28/11/2025

Frequently Asked Questions

क्या यह विधेयक सभी समुदायों पर लागू होगा?
नहीं, यह विधेयक अनुसूचित जनजातियों और संविधान के छठे शेड्यूल के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को छोड़कर सभी पर लागू होगा।
इस विधेयक के तहत सजा क्या होगी?
इस विधेयक के अनुसार, पहली शादी के चलते दूसरी शादी करने पर 10 साल की जेल और जुर्माने का प्रावधान है।
क्या इस विधेयक का समर्थन केवल भाजपा द्वारा किया गया है?
नहीं, भाजपा के अलावा जदयू जैसे अन्य दलों ने भी इस विधेयक का समर्थन किया है।
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