क्या अटारी-वाघा बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी के समय में बदलाव हुआ है?

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क्या अटारी-वाघा बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी के समय में बदलाव हुआ है?

सारांश

अटारी-वाघा बॉर्डर पर रिट्रीट सेरेमनी के समय में बदलाव किया गया है, जो अब शाम 6:00 से 6:30 बजे तक होगी। जानें इसके पीछे के कारण और इस समारोह का महत्व।

Key Takeaways

  • रिट्रीट सेरेमनी का नया समय: शाम 6:00 से 6:30 बजे
  • सैन्य प्रदर्शनों का अद्वितीय अनुभव
  • पर्यटकों के लिए अधिक सुविधा
  • 1959 से चल रहा समारोह
  • अमृतसर और लाहौर के बीच की दूरी

अमृतसर, 16 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत-पाकिस्तान सीमा पर हर दिन आयोजित होने वाली अटारी-वाघा बॉर्डर रिट्रीट सेरेमनी का समय बदल दिया गया है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने बताया है कि 15 अगस्त के बाद से इस समारोह का नया समय शाम 6:00 बजे से 6:30 बजे तक निर्धारित किया गया है।

पहले यह समारोह शाम साढ़े छह बजे प्रारंभ होता था और सात बजे तक चलता था, लेकिन अब बीएसएफ ने मौसम में आए परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए समय में यह बदलाव किया है।

बीएसएफ के अधिकारियों का कहना है कि मौसम में बदलाव और जल्दी रात होने के कारण यह निर्णय लिया गया है। अब इस समारोह में शामिल होने वाले पर्यटकों को और भी राहत मिलेगी।

यह रिट्रीट सेरेमनी देशभक्ति से भरी हुई और आकर्षक सैन्य प्रदर्शनों के चलते हमेशा से पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र रही है। भारत-पाकिस्तान सीमा पर होने वाला यह आयोजन प्रतिदिन देश-विदेश के बड़ी संख्या में आगंतुकों को आकर्षित करता है।

यह बात ध्यान देने योग्य है कि अमृतसर के निकट अटारी-वाघा बॉर्डर पर होने वाली यह रिट्रीट सेरेमनी 1959 से चल रही एक अद्वितीय और उत्साही सैन्य समारोह है, जिसमें राष्ट्रीय ध्वज उतारने की प्रक्रिया शामिल होती है। दोनों देशों के सैनिकों की जोशीली परेड के कारण यह समारोह विश्वभर में प्रसिद्ध है। अटारी-वाघा जॉइंट चेक पोस्ट अमृतसर से लगभग 30 किमी और पाकिस्तान के लाहौर से 22 किमी दूर है, जहां लगभग 25,000 दर्शक बीटिंग रिट्रीट समारोह देखने आते हैं।

'बीटिंग द रिट्रीट' कार्यक्रम को भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा बखूबी अंजाम दिया जाता है। जैसे ही सूर्य अस्त होता है, यह भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों की जोशीली परेड के साथ शुरू होती है, जिसका समापन राष्ट्रीय ध्वजों को एक साथ उतारने के साथ होता है। जैसे ही शाम ढलती है, लोहे के गेट खुल जाते हैं और झंडे एक साथ नीचे उतर आते हैं। झंडे उतारने के बाद, सैनिकों के बीच हाथ मिलाने का एक संक्षिप्त समारोह समाप्ति का संकेत देता है, जिसके बाद द्वार बंद हो जाते हैं।

Point of View

यह कहना उचित होगा कि यह समय परिवर्तन भारतीय और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच बेहतर सहयोग और समर्पण को दर्शाता है। यह समारोह न केवल सैन्य शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह दोनों देशों के लोगों को एकजुट करने का भी एक माध्यम है।
NationPress
16/08/2025

Frequently Asked Questions

अटारी-वाघा रिट्रीट सेरेमनी कब शुरू होती है?
अब यह सेरेमनी शाम 6:00 बजे से 6:30 बजे तक आयोजित की जाएगी।
इस समारोह की विशेषता क्या है?
यह समारोह देशभक्ति और सैन्य परेड के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
क्या यह समारोह हर रोज होता है?
हाँ, यह समारोह रोज़ आयोजित होता है।