क्या अयोध्या में ध्वजारोहण कार्यक्रम ऐतिहासिक है? महंत राकेश तिवारी
सारांश
Key Takeaways
- महंत राकेश तिवारी का बयान ऐतिहासिक महत्व का है।
- ध्वजारोहण ने राम मंदिर के पूर्ण स्वरूप को दर्शाया।
- प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व महत्वपूर्ण है।
- भारत में महान व्यक्तियों की पहचान पर सवाल उठता है।
- राम मंदिर का आर्किटेक्चर दक्षिण भारतीय परंपरा में है।
अयोध्या, २५ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। महंत राकेश तिवारी ने मंगलवार को अयोध्या के राम मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए ‘ध्वजारोहण’ को एक ऐतिहासिक अवसर बताया।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि यह एक अद्भुत क्षण था, जिसे शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता है। आज के ध्वजारोहण कार्यक्रम के साथ राम मंदिर अपने पूर्ण रूप में स्थापित हो चुका है। अब इसकी रूपरेखा पूरी हो चुकी है, जो सभी राम भक्तों के लिए गर्व और अनुभूति का विषय है।
महंत राकेश तिवारी ने प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे साधारण राजनेता नहीं हैं। उनके शासनकाल में किए गए कार्यों की तुलना कोई साधारण नेता नहीं कर सकता। इस तरह के ऐतिहासिक कार्य कोई महान व्यक्ति ही कर सकता है, और वे एक महान व्यक्ति हैं। दुर्भाग्य से, भारत में महान व्यक्तियों को अक्सर उपेक्षित किया जाता रहा है, जिससे लोग उन्हें पहचानने में चूक जाते हैं।
उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए अत्यंत दुःखद है कि हमारे समाज में जब कोई महान व्यक्ति होता है, तो हम उसकी महानता को झुठला देते हैं। आप भारत में किसी भी महान व्यक्ति की घटना को देख लीजिए, हमने हमेशा उनकी महानता को उपेक्षित किया है।
ज्ञात रहे कि अभिजीत मुहूर्त के शुभ समय में श्रीराम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज की स्थापना की गई। प्रधानमंत्री मोदी ने शिखर पर भगवा ध्वज फहराया। इस अवसर पर उनके साथ संघ प्रमुख मोहन भागवत और ट्रस्ट के गोविंदगिरी भी उपस्थित रहे।
ट्रस्ट द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, राम मंदिर के शिखर पर फहराया गया ध्वज १० फीट ऊंचा और २० फीट लंबा, समकोण त्रिभुजाकार है। इस पर ओम अंकित है और इसके साथ कोविदारा वृक्ष की छवि भी है। मंदिर के चारों ओर ८०० मीटर का परकोटा है, जिसे दक्षिण भारतीय आर्किटेक्चरल परंपरा में डिज़ाइन किया गया है, जो मंदिर की आर्किटेक्चरल विविधता को दर्शाता है।