क्या अयोध्या में पीएम मोदी 25 नवंबर को त्रेता युग की प्रेरणा से बना विशेष ध्वज फहराएंगे?
सारांश
Key Takeaways
- ध्वज की लंबाई 11 फीट और चौड़ाई 22 फीट है।
- मुख्य प्रतीक: ॐ, सूर्य, कोविदार वृक्ष।
- उद्घाटन 25 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी करेंगे।
- ध्वज का निर्माण गुजरात में हुआ है।
- यह ध्वज पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है।
नोएडा, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। रामनगरी अयोध्या एक बार फिर एक ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 नवंबर को राम मंदिर परिसर में विशेष रूप से तैयार किए गए एक दिव्य ध्वज का उद्घाटन और ध्वजारोहण करेंगे। यह ध्वज न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है बल्कि भारतीय अध्यात्म, इतिहास और पर्यावरणीय संदेशों की गहराई भी समेटे हुए है। इस विशेष ध्वज की लंबाई 11 फीट और चौड़ाई 22 फीट है, जो अपने आप में भव्य और अनोखा है। ध्वज के डिजाइन और अनुसंधान की जिम्मेदारी ललित मिश्रा ने संभाली।
मिश्रा के अनुसार, यह ध्वज रामायण काल के त्रेता युग में प्रयुक्त ध्वजों की अनुकृति से प्रेरित है। इसे आधुनिक तकनीक और पारंपरिक भावनाओं के संगम के साथ तैयार किया गया है, जिससे यह न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि शास्त्रीय संदर्भों का भी प्रमाण प्रस्तुत करता है। ध्वज में तीन मुख्य प्रतीकों—ॐ, सूर्य और कोविदार वृक्ष—को अंकित किया गया है, जो इसकी सबसे बड़ी विशेषता मानी जा रही है।
भगवान राम का सूर्यवंशी वंश होने का प्रतीक है, जो शौर्य, तेज और पराक्रम की ऊर्जा दर्शाता है। वहीं ॐ सनातन संस्कृति के अध्यात्म, अनंतत्व और निरंतर गतिशीलता का प्रतीक है। डिजाइनर ललित मिश्रा बताते हैं कि ‘ॐ’ का समावेश यह संदेश देता है कि सनातन न कभी नष्ट होता है, न समाप्त, वह निरंतर परिवर्तन और सृजनशीलता के साथ आगे बढ़ता रहता है। सबसे कठिन लेकिन महत्वपूर्ण भाग था कोविदार वृक्ष की पहचान। त्रेता युग के इस वृक्ष का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में, विशेष रूप से अयोध्या कांड में कई बार मिलता है।
मिश्रा के मुताबिक, कोविदार वृक्ष को ध्वज पर स्थान देना केवल पौराणिक अवधारणा नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के महत्व का संदेश भी है। त्रेता काल के पवित्र वृक्ष को ध्वज पर अंकित करना ऐतिहासिक और पर्यावरणीय दोनों दृष्टि से अत्यंत प्रतीकात्मक है। यह ध्वज गुजरात में तैयार किया गया है और इसमें विशेष प्रकार के कपड़े का उपयोग किया गया है। यह कपड़ा इस तरह विकसित किया गया है कि उस पर धूल, मिट्टी और पानी का असर कम से कम हो। यानी मौसम जैसी भी स्थिति हो, ध्वज सदैव स्वच्छ और सजीव दिखाई देगा।
साथ ही यह ध्वज 360 डिग्री घूमने की तकनीक के साथ स्थापित किया जाएगा, जिससे यह सदैव लहराता हुआ प्रतीत होगा। राम मंदिर में ध्वज फहराने का यह क्षण श्रद्धा और गौरव के साथ-साथ वैदिक इतिहास की पुनर्स्थापना का भी प्रतीक बनकर सामने आएगा। 25 नवंबर को पूरा देश और विश्व की हिंदू संस्कृति उस पल पर नजरें जमाए रहेगी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दिव्य ध्वज का उद्घाटन करेंगे। यह ध्वज आने वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास, अध्यात्म और प्रकृति के संरक्षण का संदेश बनकर खड़ा रहेगा।