क्या अयोध्या में प्रचार अधिक और काम कम हो रहा है? : अवधेश प्रसाद

सारांश
Key Takeaways
- अवधेश प्रसाद ने भाजपा पर विकास के नाम पर दिखावा करने का आरोप लगाया।
- अयोध्या में भ्रष्टाचार का मुद्दा गंभीर है।
- अखिलेश यादव के नेतृत्व में विकास का आश्वासन दिया गया।
- चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए गए हैं।
- 2024 के चुनावों में समाजवादी पार्टी की जीत की संभावनाएं बढ़ रही हैं।
अयोध्या, 4 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद अवधेश प्रसाद ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला करते हुए कहा कि अयोध्या में विकास की कोई स्थिति नहीं है, बल्कि वहां सिर्फ प्रचार का शोर सुनाई दे रहा है।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि रामनगरी अयोध्या का जो विकास दिखाया जा रहा है, वह महज एक दिखावा है। जमीनी हकीकत यह है कि हल्की बारिश में राम पथ पर पानी भर जाता है और रेलवे स्टेशन की दीवारें गिर रही हैं। यह किस प्रकार का विकास है? अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार जब सत्ता में आएगी, तब अयोध्या का विकास किया जाएगा ताकि यहां के निवासियों को राहत मिल सके।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के दौरान अयोध्या जैसे पवित्र स्थल पर भ्रष्टाचार के कारण बुनियादी ढांचे की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है।
जब अवधेश प्रसाद से पूछा गया कि भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह और अखिलेश यादव एक-दूसरे की तारीफ कर रहे हैं, क्या बृजभूषण सिंह समाजवादी पार्टी में शामिल होंगे, तो उन्होंने कहा कि यह कहना मुश्किल है कि वह सपा में आएंगे या नहीं, लेकिन यह स्पष्ट है कि जो भी व्यक्ति देश में भाईचारा, सद्भावना और विकास चाहता है, वह अखिलेश यादव की सोच और नेतृत्व से प्रभावित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी ने जिस तरह से 37 सीटें जीतीं, वह जनता के विश्वास का प्रमाण है। यदि वोटों की गिनती में धांधली नहीं हुई होती, तो हमारी संख्या 50 से 55 तक हो सकती थी। प्रदेश की जनता का भरोसा समाजवादी पार्टी की ओर बढ़ रहा है जबकि भाजपा के प्रति अविश्वास बढ़ता जा रहा है।
चुनाव आयोग पर राहुल गांधी के आरोपों पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है। उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि जब यह सीट उपचुनाव में खाली हुई, तो यहां लोकतंत्र की सबसे बड़ी डकैती हुई। सरकारी अधिकारियों ने खुलकर वोट लूटे। हमने चुनाव आयोग के पास लिखित और प्रेस के माध्यम से शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। आयोग का रवैया सरकार के दबाव में झुकने वाला था, और मिल्कीपुर का चुनाव इस बात का उदाहरण है कि निष्पक्ष चुनाव कराना कितना कठिन हो गया है। राहुल गांधी जो कह रहे हैं, वह सही हैं। चुनाव आयोग को निष्पक्ष रहना चाहिए, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा।