क्या बच्चों को अपनापन देने से समस्याओं का समाधान खुद मिलेगा?

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क्या बच्चों को अपनापन देने से समस्याओं का समाधान खुद मिलेगा?

सारांश

लखनऊ में चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ, जिसमें बच्चों को अपनापन और संवेदना देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। अपर मुख्य सचिव का मानना है कि यह कदम बच्चों की समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण है। जानिए इस प्रशिक्षण का उद्देश्य और इससे जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में।

Key Takeaways

  • बच्चों को अपनापन देना उनकी समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक है।
  • प्रशिक्षण से शिक्षकों की क्षमताओं में सुधार होगा।
  • 12 से 18 वर्ष के किशोरों को शिक्षा से जोड़ना प्राथमिकता है।
  • सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए संवेदना का होना जरूरी है।
  • यूनिसेफ द्वारा विकसित प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रभावी रहा।

लखनऊ, 21 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रदेश की बेसिक शिक्षा में बाल एवं किशोर देखरेख संस्थाओं में शिक्षकों की क्षमताओं को सशक्त बनाने के लिए चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल समापन शुक्रवार को हुआ।

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव, बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा, पार्थसारथी सेन शर्मा ने कहा कि बच्चों को अपनापन और संवेदना प्रदान करना उनकी समस्याओं के समाधान का पहला कदम है। उन्होंने आगे कहा कि जब आप इन बच्चों को अपने बच्चों की तरह समझेंगे और उनकी भावनाओं से जुड़ेंगे, तो उनके समस्याओं के समाधान स्वाभाविक रूप से सामने आएंगे।

उन्होंने यह भी बताया कि जिस बच्चे को आप पढ़ा रहे हैं, वह आपकी किसी भी परेशानी का कारण नहीं है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस प्रशिक्षण से मिले ज्ञान से इन किशोरों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे। यह कार्यक्रम माननीय उच्च न्यायालय की किशोर न्याय समिति के तत्वावधान में और यूनिसेफ द्वारा विकसित मॉड्यूल पर आधारित था।

निदेशक एससीईआरटी डॉ. गणेश कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया, जबकि सत्र में उपनिदेशक, महिला कल्याण ब्रजेन्द्र सिंह निरंजन सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे। 18 से 21 नवंबर तक आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 16 जनपदों के 46 प्रतिनियुक्त शिक्षकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 12 से 18 वर्ष आयु वर्ग के किशोरों को प्रभावी एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से जोड़ना है, जो किसी कारणवश अपराध कर चुके हैं या अपराध के शिकार, पीड़ित, परित्यक्त या अनाथ हैं। ये किशोर प्रदेश के 53 चिल्ड्रेन होम्स और सरकारी ऑब्जर्वेशन होम्स में निवास करते हैं।

प्रशिक्षण के दौरान शिक्षकों को किशोर मनोविज्ञान की समझ, संस्थागत वातावरण में शिक्षण के उपयुक्त तरीके, शिक्षा में रुचि विकसित करने के उपाय और बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु आवश्यक कौशल से अवगत कराया गया। समापन सत्र में अपर मुख्य सचिव ने प्रशिक्षकों और प्रतिभागियों के प्रयासों को सराहा और कार्यक्रम के बेहतर क्रियान्वयन के लिए फीडबैक लेने पर जोर दिया।

Point of View

बल्कि बच्चों के जीवन में भी सकारात्मक बदलाव लाता है। ऐसे कार्यक्रमों की आवश्यकता है जो बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन करें और उनकी समस्याओं का समाधान निकालें।
NationPress
27/11/2025

Frequently Asked Questions

इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य क्या था?
प्रशिक्षण का उद्देश्य 12 से 18 वर्ष आयु वर्ग के किशोरों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से जोड़ना है।
कौन से अधिकारी इस कार्यक्रम में शामिल हुए?
इस कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव, निदेशक एससीईआरटी, और उपनिदेशक, महिला कल्याण सहित अन्य अधिकारी शामिल हुए।
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