क्या बड़ी आंत की गंदगी कई बीमारियों का कारण है? जानिए आयुर्वेद क्या कहता है

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क्या बड़ी आंत की गंदगी कई बीमारियों का कारण है? जानिए आयुर्वेद क्या कहता है

सारांश

क्या आप जानते हैं कि बड़ी आंत की गंदगी कई बीमारियों का कारण बन सकती है? यह आयुर्वेद में स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। जानिए कैसे स्वस्थ आंत आपके जीवन को बेहतर बना सकती है।

Key Takeaways

  • बड़ी आंत का स्वास्थ्य मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
  • रेशेदार आहार का सेवन करें।
  • आयुर्वेदिक उपायों से आंतों की सफाई करें।
  • योगासन का नियमित अभ्यास करें।
  • समय पर भोजन और उचित नींद लें।

नई दिल्ली, ०२ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हमारे शरीर का पाचन तंत्र अत्यंत जटिल और अद्भुत है, जिसमें बड़ी आंत (लार्ज इंटेस्टाइन) एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। छोटी आंत भोजन से पोषक तत्वों का अवशोषण करती है, जबकि बड़ी आंत शरीर की सफाई और स्वास्थ्य की रक्षा में एक मौन प्रहरी की तरह काम करती है।

बड़ी आंत की लंबाई लगभग डेढ़ मीटर यानी पांच फीट होती है, जो छोटी आंत से कम है, लेकिन इसका कार्य जीवन के लिए उतना ही आवश्यक है। बड़ी आंत भोजन के अपशिष्ट से जल और आवश्यक लवण जैसे सोडियम व पोटैशियम को पुनः अवशोषित करती है, जिससे शरीर निर्जलीकरण से बचता है।

इसके अलावा, बड़ी आंत सूक्ष्मजीवों का विशाल संसार है, जिसमें लगभग १०० खरब से अधिक माइक्रोब्स रहते हैं। ये सूक्ष्मजीव विटामिन के और बी-समूह का निर्माण करते हैं तथा शरीर की प्रतिरक्षा शक्ति को मजबूत बनाते हैं। वास्तव में, शरीर की लगभग ७० प्रतिशत रोग प्रतिरोधक क्षमता आंतों पर निर्भर करती है, खासकर बड़ी आंत पर, इसीलिए इसे इम्युनिटी का गढ़ भी कहा जाता है।

बड़ी आंत का मस्तिष्क से भी गहरा संबंध है, जिसे आंत्र-मस्तिष्क अक्ष कहा जाता है। यही कारण है कि कब्ज़, दस्त या आंत की किसी समस्या का सीधा असर मानसिक स्थिति, तनाव और मूड पर पड़ता है। आंत के जीवाणु सेरोटोनिन जैसे हार्मोन के स्तर को भी प्रभावित करते हैं, जो नींद और भावनाओं को नियंत्रित करते हैं।

वहीं, रेशेदार आहार बड़ी आंत के सूक्ष्मजीवों के लिए भोजन का कार्य करता है, जिससे वे शॉर्ट चेन फैटी एसिड उत्पन्न करते हैं, जो कैंसर से बचाव, सूजन को कम करने और आंत को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं।

यदि अपशिष्ट लंबे समय तक आंत में रुका रहता है तो हानिकारक द्रव्य पुनः शरीर में अवशोषित हो सकते हैं, जिससे अनेक रोग उत्पन्न होते हैं। आयुर्वेद में इसे ही कहा गया है 'मलावरोधः सर्वरोगानां मूलम्।' यही कारण है कि बड़ी आंत में कोलन कैंसर का खतरा भी अधिक देखा जाता है, विशेषकर उन लोगों में जो रेशे की कमी, जंक फूड और अत्यधिक मांसाहार करते हैं।

बड़ी आंत को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेदिक उपाय अत्यंत कारगर हैं। त्रिफला चूर्ण का सेवन रात को गुनगुने पानी के साथ करने से आंत साफ रहती है। इसबगोल की भूसी कब्ज और गैस को दूर करने में सहायक है। सुबह उठकर गुनगुना पानी पीने से आंत की सफाई सहज होती है। फाइबर युक्त आहार जैसे हरी सब्जियां, फल और सलाद आंत के सूक्ष्मजीवों को पोषण देते हैं, जबकि घी आंत को चिकनाई प्रदान कर कब्ज से बचाता है।

इसके अलावा, योगासन जैसे पवनमुक्तासन, पश्चिमोत्तानासन और प्राणायाम (कपालभाति) आंतों के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। नियमित दिनचर्या, समय पर भोजन, तनाव से दूरी और पर्याप्त नींद बड़ी आंत को स्वस्थ बनाए रखते हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि आंतों के स्वास्थ्य पर ध्यान देना न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए, बल्कि समाज के स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। हमें जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है कि बड़ी आंत की सफाई से कई बीमारियों से बचा जा सकता है।
NationPress
02/10/2025

Frequently Asked Questions

बड़ी आंत का क्या महत्व है?
बड़ी आंत शरीर की सफाई और पोषक तत्वों के अवशोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
कब्ज़ और गैस से राहत के लिए क्या उपाय करें?
त्रिफला चूर्ण और इसबगोल की भूसी का सेवन करें।
क्या आंतों का स्वास्थ्य मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है?
हां, आंतों की स्थिति सीधे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
क्या रेशेदार आहार का सेवन आवश्यक है?
रेशेदार आहार आंतों के सूक्ष्मजीवों के लिए पोषण का काम करता है।
आयुर्वेद में बड़ी आंत की सफाई के लिए क्या सुझाव है?
आयुर्वेद में गुनगुने पानी और फाइबर युक्त आहार का सेवन करने की सलाह दी जाती है।