क्या भारतीय सेना ने अपने नए डिजाइन कोट को बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत सुरक्षित किया है?

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क्या भारतीय सेना ने अपने नए डिजाइन कोट को बौद्धिक संपदा अधिकार के तहत सुरक्षित किया है?

सारांश

क्या आपने सुना है? भारतीय सेना ने अपने नए कोट कॉम्बैट (डिजिटल प्रिंट) के डिजाइन को पंजीकृत कर लिया है। इस कदम से न केवल परिधान प्रणाली में सुधार होगा, बल्कि यह सैनिकों को आधुनिक तकनीक के साथ बेहतर सुरक्षा प्रदान करेगा। जानिए इस नई उपलब्धि के बारे में और अधिक।

Key Takeaways

  • कोट कॉम्बैट (डिजिटल प्रिंट) का डिजाइन पंजीकृत किया गया है।
  • यह कदम स्वदेशीकरण और आधुनिकरण को प्रोत्साहित करता है।
  • अनधिकृत निर्माण पर विधिक कार्रवाई की जा सकेगी।
  • कोट में तीन परतों का उन्नत टेक्निकल टेक्सटाइल है।
  • यह आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

नई दिल्ली, 19 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय सेना ने अपने नवीनतम कोट कॉम्बैट (डिजिटल प्रिंट) के डिजाइन को आधिकारिक रूप से पंजीकृत किया है। इसके साथ ही इस कोट कॉम्बैट के बौद्धिक संपदा अधिकार भी सुरक्षित कर लिए गए हैं। यह कदम सेना की परिधान प्रणाली में आधुनिककरण, स्वदेशीकरण और सैनिक-केंद्रित नवाचार को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

यदि कोई व्यक्ति इस सैन्य ड्रेस का अनधिकृत निर्माण, नकल या व्यवसायिक उपयोग करता है, तो उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जा सकेगी।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, जनवरी 2025 में लांच किए गए इस नए आर्मी कोट कॉम्बैट (डिजिटल प्रिंट) को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) ने डिजाइन और विकसित किया है। इसे आर्मी डिजाइन ब्यूरो के मार्गदर्शन में एक परामर्श परियोजना के तहत तैयार किया गया है। यह परिधान तीन परतों वाले उन्नत टेक्निकल टेक्सटाइल्स से निर्मित है, जिसे विभिन्न जलवायु और सामरिक परिस्थितियों में सैनिकों की गतिशीलता, सुविधा और परिचालन क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।

भारतीय सेना ने इस नए डिजाइन को कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स, डिजाइंस एंड ट्रेडमार्क्स, कोलकाता के पास 27 फरवरी 2025 को पंजीकृत कराया था। रक्षा मंत्रालय का कहना है कि इसे 7 अक्टूबर 2025 को पेटेंट ऑफिस के आधिकारिक जर्नल में प्रकाशित किया गया। इस पंजीकरण के साथ, नए कोट कॉम्बैट (डिजिटल प्रिंट) के डिजाइन और कैमोफ्लाज पैटर्न दोनों पर भारतीय सेना का पूर्ण और अनन्य स्वामित्व स्थापित हो गया है। अब इसकी अनधिकृत निर्माण, नकल या व्यवसायिक उपयोग पर डिजाइंस एक्ट, 2000, डिजाइंस रूल्स, 2001 और पेटेंट्स एक्ट, 1970 के प्रावधानों के तहत विधिक कार्रवाई की जा सकेगी, जिसमें निषेधाज्ञा और क्षतिपूर्ति की मांग भी शामिल है।

नए कोट कॉम्बैट (डिजिटल प्रिंट) के तीन प्रमुख घटक हैं। बाहरी परत विभिन्न भौगोलिक परिस्थितियों में बेहतर छिपाव में सहायता करती है। टिकाऊपन के लिए डिजिटल प्रिंट वाला विशेष कैमोफ्लाज कोट है। वहीं, इनर जैकेट, हल्का और हवा पास होने योग्य पदार्थों से निर्मित है। इसमें इंसुलेटेड मध्य-परत है, जो बिना गतिशीलता कम किए गर्माहट प्रदान करती है। थर्मल लेयर अत्यधिक ठंडे तापमान में तापीय नियंत्रण और नमी प्रबंधन सुनिश्चित करने वाली आधार-परत है।

तीन परतों वाला यह परिधान सैनिकों को उच्चस्तरीय संरक्षण, सुविधा और परिचालन प्रभावशीलता प्रदान करता है। यह भारतीय सेना की निरंतर परिवर्तन, सैनिक कल्याण और तकनीकी प्रगति की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इस बौद्धिक संपदा अधिकार पंजीकरण से सेना द्वारा रक्षा परिधान प्रणालियों में नवाचार, डिजाइन संरक्षण और आत्मनिर्भरता पर भी बल दिया गया है। यह कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण और भारतीय सेना के डेकेड ऑफ ट्रांसफॉर्मेशन (2023–2032) के अनुरूप है।

Point of View

जो स्वदेशी नवाचार और सैनिक कल्याण को प्रोत्साहित करता है। यह न केवल सेना की तकनीकी प्रगति को दर्शाता है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
NationPress
19/11/2025

Frequently Asked Questions

भारतीय सेना का नया कोट कब पंजीकृत हुआ?
भारतीय सेना का नया कोट कॉम्बैट (डिजिटल प्रिंट) 27 फरवरी 2025 को पंजीकृत हुआ।
इस कोट का डिजाइन किसने विकसित किया है?
इस कोट का डिजाइन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) ने विकसित किया है।
क्या अनधिकृत निर्माण पर कार्रवाई की जा सकेगी?
हाँ, अनधिकृत निर्माण, नकल या व्यवसायिक उपयोग पर विधिक कार्रवाई की जा सकेगी।
इस कोट में कौन-कौन से घटक शामिल हैं?
इस कोट में बाहरी परत, टिकाऊ कैमोफ्लाज कोट, और हल्की इनर जैकेट शामिल हैं।
इस कदम का उद्देश्य क्या है?
इस कदम का उद्देश्य सेना के परिधान तंत्र में आधुनिकरण और नवाचार को प्रोत्साहित करना है।
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