क्या बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की तरह बोल रहे हैं पृथ्वीराज चव्हाण? - राज पुरोहित

सारांश
Key Takeaways
- पृथ्वीराज चव्हाण का विवादित बयान
- राज पुरोहित का तंज
- सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
- हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच की खाई
- कांग्रेस और भाजपा के बीच बढ़ती तनातनी
मुंबई, 3 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। 2008 के मालेगांव ब्लास्ट मामले में एनआईए कोर्ट द्वारा सभी सात आरोपियों को बरी किए जाने के बाद, महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण का बयान विवाद का विषय बन गया है। चव्हाण ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन यदि नाम देना है तो इसे सनातन आतंकवाद कहना चाहिए। इसके जवाब में भाजपा नेता राज पुरोहित ने चव्हाण पर तंज करते हुए कहा कि वह ‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना’ की तरह बोलते हैं और उन्हें यह भी नहीं पता कि वे किस पार्टी का हिस्सा हैं।
रविवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान, भाजपा नेता राज पुरोहित ने (एनसीपी-एससीपी) नेता जितेंद्र आव्हाड के सनातन धर्म पर दिए गए बयान की कड़ी आलोचना की। पुरोहित ने कहा कि आव्हाड जिस क्षेत्र से विधायक हैं, जहां मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक है, उन्हें खुश करने के लिए बार-बार हिंदू धर्म और सनातन धर्म का अपमान करते हैं, जिससे उनका वोटबैंक मजबूत बना रहे। उन्होंने पहले भी भगवान राम और कृष्ण जैसे हिंदू देवताओं का अपमान किया है और अब सनातन धर्म को विकृत कहकर हिंदू समाज का अपमान कर रहे हैं।
उन्होंने सनातन धर्म को भारत की आत्मा और जननी बताया, जिसके नाम पर हम सांस लेते हैं।
भाजपा नेता ने सवाल उठाया कि आव्हाड ने मालेगांव ब्लास्ट मामले में सभी सात हिंदू आरोपियों के बरी होने पर कोई बयान क्यों नहीं दिया और न ही छांगुर बाबा जैसे मुद्दों पर बोले। पुरोहित ने इसे इस्लामिक फोबिया का परिणाम बताया, जिसमें आव्हाड कथित तौर पर मुस्लिम वोटों के लिए हिंदू धर्म को निशाना बनाते हैं।
कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने एक सुनियोजित एजेंडा बनाया है, जिसके तहत भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को बदनाम करने के लिए हिंदू आतंकवाद और सनातन आतंकवाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है।
पुरोहित के अनुसार, आव्हाड का बयान इसी एजेंडे का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने एक सुनियोजित एजेंडा के तहत भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को बदनाम करने की कोशिश की। हिंदू आतंकवाद और सनातन आतंकवाद जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर ऐसा धारणा बनाने का प्रयास किया गया कि भाजपा एक आतंकवादी पार्टी है। उन्होंने इसे हिंदू भावना और संस्कृति को नष्ट करने की साजिश करार दिया।
मालेगांव ब्लास्ट मामले में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और अन्य आरोपियों को प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि उन पर दबाव डाला गया था कि वे योगी आदित्यनाथ, मोहन भागवत, और राम माधव जैसे प्रमुख भाजपा और आरएसएस नेताओं के नाम लें ताकि उन्हें और संगठन को सामाजिक रूप से बदनाम किया जा सके।
पुरोहित ने साध्वी प्रज्ञा की तारीफ की, जिन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी और अंततः एनआईए कोर्ट द्वारा बरी कर दी गईं।
राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वे पाकिस्तान और चीन के मुद्दों पर तो बोलते हैं, लेकिन मालेगांव ब्लास्ट मामले में बरी हुए लोगों की प्रताड़ना पर कांग्रेस नेतृत्व खामोश रहता है।