क्या बीजद द्वारा उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूरी बनाना निराशाजनक है? : भक्त चरण दास

सारांश
Key Takeaways
- भक्त चरण दास ने बीजद के निर्णय की आलोचना की है।
- बीजद ने मतदान से दूरी बनाकर भाजपा को सहायता पहुंचाई है।
- ओडिशा के लोगों के हितों की अनदेखी की जा रही है।
- यह निर्णय राजनीतिक साहस की कमी को दर्शाता है।
- राजनीति का उद्देश्य जनता के कल्याण के लिए होना चाहिए।
भुवनेश्वर, 8 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के अध्यक्ष भक्त चरण दास ने सोमवार को उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहने के बीजू जनता दल (बीजद) के निर्णय की तीव्र निंदा की है।
दास ने कहा कि यह निर्णय अपेक्षित और अत्यंत निराशाजनक है, क्योंकि बीजद एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीति में स्पष्ट स्थिति तय करने में असफल रही। बीजद खुद को एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी के रूप में प्रस्तुत करती है, लेकिन इतिहास यह दर्शाता है कि उसने हमेशा दूरी बनाए रखने के बहाने भाजपा का समर्थन किया है। मतदान से दूरी बनाना इसी प्रवृत्ति का विस्तार है।
उन्होंने कहा कि बीजद के इस रुख से संदेह उत्पन्न होता है कि क्या पार्टी किसी दबाव में कार्य कर रही है। यदि बीजद सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों के डर से चुप रहती है, तो ओडिशा की जनता के सामने उसकी विश्वसनीयता समाप्त हो जाएगी। राजनीति का उद्देश्य जनता के कल्याण के लिए होना चाहिए, न कि डर के कारण। मतदान से दूर रहकर बीजद अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा की ही सहायता कर रही है। ओडिशा के लोग आपकी सच्चाई जान चुके हैं।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि बीजद का रुख न केवल एक विपक्षी दल के रूप में उसकी भूमिका को कमजोर करता है, बल्कि ओडिशा के लोगों के व्यापक हितों की भी अनदेखी करता है। वे ओडिशा के हित में निर्णय लेने की बात करते हैं, लेकिन ऐसे राजनीतिक समझौतों से ओडिशा को क्या लाभ हुआ है? क्या इससे शिक्षा, श्रमिकों की मजदूरी या किसानों के लिए लाभ में सुधार हुआ है?
उन्होंने आगे कहा कि बीजद का यह निर्णय राजनीतिक साहस की कमी को प्रदर्शित करता है। मतदान से दूर रहकर वे एक बार फिर अपनी कमजोरी और एक सच्चे विपक्ष की आवाज के रूप में कार्य करने में असमर्थता को उजागर कर रहे हैं।