क्या भारत और अमेरिका उचित टैरिफ पर व्यापार समझौते को आगे बढ़ा पाएंगे?

सारांश
Key Takeaways
- भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता महत्वपूर्ण है।
- अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
- उचित टैरिफ पर व्यापार समझौते की संभावना बढ़ी है।
- भारत और अमेरिका के संबंधों में सुधार हो रहा है।
- आर्थिक विकास के लिए बेहतर अंतरराष्ट्रीय संबंध जरूरी हैं।
नई दिल्ली, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया का स्वागत करते हुए अर्थशास्त्रियों ने बुधवार को कहा कि दुनिया में यह संदेश फैल चुका है कि भारत को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। देश की मजबूती के साथ-साथ अन्य देशों को यह समझने की आवश्यकता है कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार के संदर्भ में भारत की अनदेखी नहीं की जा सकती।
इकोनॉमिस्ट राजीव साहू ने न्यूज एजेंसी राष्ट्र प्रेस को बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान इस ओर इशारा करते हैं कि वह सुलह की इच्छा रखते हैं, और इसका श्रेय विशेष रूप से पीएम मोदी को जाता है, जिन्होंने अमेरिका के खिलाफ एक दृढ़ रुख अपनाया और रूस, चीन तथा अन्य देशों के साथ नए विकल्पों की तलाश की।
उन्होंने कहा, "भारत अमेरिकी दबाव में आने के बजाय अडिग रहा है, और ऐसा प्रतीत होता है कि अब अमेरिका और भारत के बीच उचित टैरिफ पर व्यापार समझौते को आगे बढ़ाने की संभावना है।"
उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को किसी भी स्थिति में हल्के में नहीं लिया जा सकता है।
इकोनॉमिस्ट प्रबीर कुमार सरकार ने राष्ट्र प्रेस से कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता फरवरी 2025 से प्रारंभ हुई थी। उस समय, पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने द्विपक्षीय व्यापार को 200 अरब डॉलर से बढ़ाकर 2030 तक 500 अरब डॉलर करने की प्रतिबद्धता जताई थी।
उन्होंने कहा, "पिछले 10 वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच संबंध काफी मजबूत हुए हैं। हालांकि, अगस्त में लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ आने वाले समय में कुछ चुनौतियाँ पैदा कर सकते थे। लेकिन इस बीच, ट्रंप ने मोदी को अपना अच्छा दोस्त बताया है, जिसके साथ उम्मीद की जा रही है कि व्यापार वार्ता में कुछ समाधान निकल सकते हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि उम्मीद है कि भारत इस व्यापार वार्ता के माध्यम से अपनी निर्यात संबंधित समस्याओं का समाधान कर सकेगा।
इकोनॉमिस्ट गुरुचरण दास ने राष्ट्र प्रेस से कहा कि भारत के लिए 50 प्रतिशत टैरिफ को कम करने के उपाय ढूंढने चाहिए। इस प्रकार, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता से देश को दीर्घकालिक लाभ होगा।
इजरायल के वित्त मंत्रालय के मुख्य अर्थशास्त्री शमूएल अब्रामजोन ने भारत-अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रियाएँ दीं और कहा कि हमें खुशी है कि इजरायल के दो अच्छे सहयोगी और मित्र बातचीत कर रहे हैं।
उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में कहा, "मुझे लगता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में वास्तव में एक विकसित देश बनने की अपार क्षमता है। देश में बहुत सारी बड़ी संपत्तियाँ, कुशलता और एक प्रभावी सरकार है, जो सुधारों को लागू करने में सक्षम है।"
अब्रामजोन ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि अच्छे अंतरराष्ट्रीय संबंधों के माध्यम से देश वास्तव में मजबूत हो सकता है और भारत को एक विकसित देश बनने में मदद मिलेगी।