क्या भारत और मालदीव मत्स्य पालन और जलीय कृषि में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने जा रहे हैं?

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क्या भारत और मालदीव मत्स्य पालन और जलीय कृषि में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने जा रहे हैं?

सारांश

भारत और मालदीव ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को और मजबूत करेगा। इस समझौते का उद्देश्य सतत विकास के तहत इन क्षेत्रों में नवाचार और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देना है।

Key Takeaways

  • समझौता ज्ञापन का उद्देश्य मत्स्य पालन और जलीय कृषि में सहयोग बढ़ाना है।
  • मालदीव में कोल्ड स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा।
  • यह समझौता दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध को मजबूत करेगा।
  • प्रशिक्षण और ज्ञान विनिमय कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।
  • यह सस्टेनेबल विकास की दिशा में एक कदम है।

नई दिल्ली, 26 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार द्वारा शनिवार को जारी जानकारी के अनुसार, मत्स्य पालन और जलीय कृषि के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने के लिए भारत और मालदीव के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

इस समझौते का मुख्य उद्देश्य सस्टेनेबल टूना और गहरे समुद्र में मत्स्य पालन को प्रोत्साहित करना, जलीय कृषि और सस्टेनेबल रिसोर्स मैनेजमेंट को सशक्त करना, मत्स्य पालन आधारित पर्यावरण-पर्यटन को बढ़ावा देना और दोनों देशों में इनोवेशन एवं साइंटिफिक रिसर्च को प्रोत्साहित करना है।

भारत के मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत मत्स्य पालन विभाग और मालदीव के मत्स्य पालन एवं समुद्री संसाधन मंत्रालय ने इस क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

मंत्रालय के अनुसार, यह समझौता ज्ञापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की द्वीपीय राष्ट्र की राजकीय यात्रा के दौरान भारत और मालदीव के बीच आदान-प्रदान किए गए छह समझौतों का हिस्सा है।

इस एमओयू के अंतर्गत सहयोग के मुख्य क्षेत्रों में वैल्यू चेन का विकास, मैरीकल्चर में प्रगति, व्यापार सुगमता और मत्स्य पालन क्षेत्र में क्षमता निर्माण शामिल हैं।

इस पहल के तहत, मालदीव कोल्ड स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करेगा। इसके साथ ही, हैचरी विकास, बेहतर उत्पादन क्षमता और संवर्धित प्रजातियों के विविधीकरण के माध्यम से जलीय कृषि क्षेत्र को मजबूत करने का प्रयास करेगा।

यह समझौता ज्ञापन प्रशिक्षण और ज्ञान विनिमय कार्यक्रमों को भी सुगम बनाएगा, जिसमें जलीय पशु स्वास्थ्य, जैव सुरक्षा जांच, जलीय कृषि फार्म प्रबंधन, और रेफ्रिजरेशन, मैकेनिकल इंजीनियरिंग तथा मरीन इंजीनियरिंग जैसे विशेष तकनीकी क्षेत्रों में क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

मंत्रालय के अनुसार, यह सहयोग मत्स्य उद्योग के लिए एक अधिक मजबूत, इनोवेटिव और सस्टेनेबल भविष्य के निर्माण के लिए भारत और मालदीव के साझा दृष्टिकोण को दर्शाता है।

भारत और मालदीव के बीच कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जो द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत करते हैं।

इसके अतिरिक्त, भारत ने पूर्व में मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) सरकार के तहत 2019 में मालदीव को 800 मिलियन डॉलर का एलओसी दिया था, लेकिन इस बार एलओसी भारतीय मुद्रा में 4850 करोड़ रुपए है।

Point of View

जो न केवल मत्स्य पालन और जलीय कृषि में, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगा। यह पहल दोनों देशों के लिए एक दीर्घकालिक विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

इस समझौते का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इस समझौते का मुख्य उद्देश्य सस्टेनेबल टूना और गहरे समुद्र में मत्स्य पालन को बढ़ावा देना और जलीय कृषि में नवाचार को प्रोत्साहित करना है।
भारत ने पिछले में मालदीव को कितना निवेश दिया था?
भारत ने 2019 में मालदीव को 800 मिलियन डॉलर का एलओसी दिया था, जो अब बढ़कर 4850 करोड़ रुपए हो गया है।