क्या भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है, हमारे पास सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार है? : कैलाश विजयवर्गीय

सारांश
Key Takeaways
- भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है।
- विदेशी मुद्रा भंडार सबसे अधिक है।
- पाकिस्तान की मानसिकता पर टिप्पणी।
- आरएसएस की 100 वर्ष की उपलब्धि का सम्मान।
- भारत की एकता और अखंडता को प्राथमिकता।
इंदौर, 1 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने अमेरिका द्वारा टैरिफ में कमी न करने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
मीडिया से बातचीत में, विजयवर्गीय ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने अमेरिकी टैरिफ मामले पर कहा कि इसका भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बाजार में उतार-चढ़ाव सामान्य प्रक्रिया है। विजयवर्गीय ने कहा, “कभी शेयर बाजार नीचे जाएगा, कभी ऊपर जाएगा, लेकिन यह स्थायी रूप से नीचे नहीं रहेगा। भारत की अर्थव्यवस्था बेहद मजबूत है, क्योंकि हमारे पास सबसे अधिक विदेशी मुद्रा भंडार है और हमारी अर्थव्यवस्था को कोई डगमगा नहीं सकता।”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर डाक टिकट और स्मारक सिक्का जारी करने की घोषणा पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। विजयवर्गीय ने कहा कि सौ साल पूरे होने पर ही उपलब्धियां दी जाती हैं, पहले नहीं। संघ को किसी तरह की उपलब्धि की आवश्यकता नहीं है, संघ अपने आप में ही इतना सम्मानित संगठन बन चुका है कि आज पूरा देश उसका सम्मान करता है।”
मंत्री ने पड़ोसी देशों के रवैये पर टिप्पणी करते हुए पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि एशिया कप में भारतीय टीम को विजेता होने के बावजूद ट्रॉफी न देना पाकिस्तान की संकीर्ण मानसिकता का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि जब कोई टीम जीतकर आती है तो उसे ट्रॉफी देना खेल भावना का हिस्सा होता है, लेकिन पाकिस्तान ने छोटे दिल और छोटी बुद्धि का परिचय दिया है।
उन्होंने नेपाल में हाल के विवादित घटनाक्रम और बयानों पर भी प्रतिक्रिया दी। विजयवर्गीय ने कहा कि भारत के भीतर सभी भारतीय अपनी मातृभूमि से प्रेम करते हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जो लोग अपनी मां से प्यार करते हैं, वे कभी उससे बगावत नहीं कर सकते। भारत की एकता और अखंडता के साथ कोई समझौता नहीं होगा।”