क्या अप्रैल-जून में भारत की जीडीपी 6.8-7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी?

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क्या अप्रैल-जून में भारत की जीडीपी 6.8-7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी?

सारांश

भारत की जीडीपी विकास दर इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 6.8-7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। उच्च विवेकाधीन खर्च और मांग-आधारित विकास के कारण यह वृद्धि संभव है। जानें इस रिपोर्ट में और क्या जानकारी दी गई है!

Key Takeaways

  • भारत की जीडीपी 6.8-7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना।
  • उच्च विवेकाधीन खर्च मांग-आधारित विकास को गति देगा।
  • जीवीए वृद्धि 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान।
  • सरकारी पूंजीगत व्यय की पीक इलास्टिसिटी 1.17 प्रतिशत तक पहुंच गई।
  • ग्लोबल अर्थव्यवस्था स्थिर, लेकिन टैरिफ से विकृतियां उत्पन्न।

नई दिल्ली, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी 6.8 प्रतिशत-7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना जताई गई है। यह वृद्धि उच्च विवेकाधीन खर्च के परिणामस्वरूप होगी, जो देश में मांग-आधारित विकास को प्रोत्साहित करेगा। यह जानकारी गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में प्रदान की गई।

एसबीआई रिसर्च के अनुसार, इस तिमाही के लिए ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) वृद्धि 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके साथ ही, यह बताया गया है कि वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में रियल और नॉमिनल ग्रोथ के बीच का अंतर काफी कम हो जाएगा।

भारतीय स्टेट बैंक की शोध शाखा के अनुसार, जीडीपी के मुकाबले सरकारी पूंजीगत व्यय की पीक इलास्टिसिटी 1.17 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जिससे सस्टेनेबल ग्रोथ के लिए निजी निवेश को सार्वजनिक पूंजीगत व्यय का समर्थन करना आवश्यक हो गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "सस्टेनेबल ग्रोथ के लिए चिंता का एक प्रमुख स्रोत कम निजी पूंजीगत व्यय है। हमारा मानना है कि अमेरिकी टैरिफ पूंजीगत व्यय को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए यह संख्या कम हो सकती है। अर्थव्यवस्था को उच्च सस्टेनेबल ग्रोथ के रास्ते पर ले जाने के लिए निजी निवेश को सार्वजनिक निवेश का पूरक होना चाहिए।"

इससे आगे, रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर है, लेकिन गतिविधियों की संरचना अंतर्निहित मजबूती के बजाय टैरिफ से उत्पन्न विकृतियों की ओर इशारा करती है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वैश्विक विकास अनुमानों को संशोधित कर 2025 के लिए 3 प्रतिशत और 2026 के लिए 3.1 प्रतिशत कर दिया है, जो मुख्य रूप से टैरिफ लागू होने से पहले अग्रिम भुगतान को दर्शाता है।

इसके अतिरिक्त, भारत के विकास अनुमान को 20 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.4 प्रतिशत और चीन के विकास अनुमान को 80 आधार अंकों से बढ़ाकर 4.8 प्रतिशत कर दिया गया है।

तिमाही के दौरान, भारतीय कंपनियों ने 4.7 प्रतिशत की वृद्धि और 6.7 प्रतिशत ईबीआईडीटीए वृद्धि दर्ज की, जबकि पिछली तिमाही में 11 प्रतिशत ईबीआईडीटीए वृद्धि का आंकड़ा था। इन भारतीय कंपनियों में 4,300 सूचीबद्ध संस्थाएं शामिल हैं।

एसबीआई रिसर्च ने पाया कि भारतीय निर्यात पर टैरिफ की नई बहाली के कारण, अगली दो तिमाहियों के लिए आय का दृष्टिकोण नकारात्मक रहने की संभावना है।

हालांकि, जीएसटी 2.0 उपभोग-केंद्रित क्षेत्र को बढ़ावा दे सकता है और इसके प्रभाव को कम कर सकता है।

Point of View

लेकिन इसके साथ ही चुनौतियों का भी सामना करना होगा। उच्च विवेकाधीन खर्च और सरकारी पूंजीगत व्यय की आवश्यकता को समझते हुए, हमें निजी निवेश को प्रोत्साहित करने की दिशा में कार्य करना होगा। इस प्रकार, आर्थिक स्थिरता के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

भारत की जीडीपी वृद्धि का मुख्य कारण क्या है?
भारत की जीडीपी वृद्धि का मुख्य कारण उच्च विवेकाधीन खर्च है, जो मांग-आधारित विकास को प्रेरित कर रहा है।
क्या एसबीआई रिसर्च ने जीडीपी के बारे में कोई विशेष आंकड़े दिए हैं?
हाँ, एसबीआई रिसर्च ने इस तिमाही के लिए जीवीए वृद्धि को 6.5 प्रतिशत और सरकारी पूंजीगत व्यय की पीक इलास्टिसिटी को 1.17 प्रतिशत बताया है।
क्या आगामी तिमाहियों में भारत की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा?
रिपोर्ट के अनुसार, आय का दृष्टिकोण नकारात्मक रहने की संभावना है, लेकिन जीएसटी 2.0 उपभोग-केंद्रित क्षेत्र को बढ़ावा दे सकता है।