क्या भारत के पास स्वदेशी तकनीक से अपनी सीमाओं की रक्षा करने की क्षमता है? : डीआरडीओ प्रमुख कामत

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क्या भारत के पास स्वदेशी तकनीक से अपनी सीमाओं की रक्षा करने की क्षमता है? : डीआरडीओ प्रमुख कामत

सारांश

भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के प्रमुख ने स्वदेशी तकनीक के महत्व को उजागर करते हुए बताया कि ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित किया है कि हमें अपनी सीमाओं की रक्षा करने की पूरी क्षमता है। जानिए इस समारोह में और क्या हुआ।

Key Takeaways

  • भारत की स्वदेशी तकनीक ने सीमाओं की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की सामरिक क्षमताओं को प्रदर्शित किया है।
  • डीआरडीओ और डीआईएटी जैसे संस्थानों का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
  • 298 छात्रों को विभिन्न विषयों में डिग्रियां प्रदान की गईं।
  • इस वर्ष 18 स्वर्ण पदक छात्रों को दिए गए।

पुणे, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पुणे के गिरीनगर में डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) का 14वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गईं।

डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी (डीआईएटी) ने शनिवार को अपना 14वां दीक्षांत समारोह मनाया, जिसमें रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि हाल ही में संपन्न ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की आत्मनिर्भरता, रणनीतिक दृष्टिकोण और स्वदेशी तकनीकी क्षमता के साथ दृढ़ता से खड़े रहने की घोषणा है।

कामत ने डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी के 14वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पश्चिमी सीमाओं पर किया गया यह अत्यंत समन्वित, बहुआयामी अभियान न केवल सैनिकों के साहस को दर्शाता है, बल्कि उस तकनीकी आधार को भी प्रदर्शित करता है जिसने उन्हें सहारा दिया। उन्होंने कहा, “सेंसर, मानवरहित प्लेटफॉर्म, सुरक्षित संचार, एआई आधारित निर्णय समर्थन प्रणाली और सटीक हथियार, इन सभी स्वदेशी प्लेटफॉर्मों ने इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।”

उन्होंने कहा कि इस अभियान में तैनात प्रणालियों में आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, मीडियम रेंज सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, डी4 एंटी-ड्रोन सिस्टम, एएडब्ल्यूएनसी एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम और आकाशतीर सिस्टम शामिल थे, ये सभी भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा विकसित किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी जैसी संस्थाओं ने इन विकास कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कामत ने कहा, “‘ऑपरेशन सिंदूर’ सिर्फ एक मिशन नहीं था, बल्कि यह दुनिया को यह संदेश था कि भारत के पास स्वदेशी तकनीक के जरिए अपनी सीमाओं की रक्षा करने की क्षमता है।”

इस दीक्षांत समारोह में उनके साथ डीआईएटी के कुलपति डॉ. बी.एच.वी.एस. नारायण मूर्ति तथा डीआरडीओ, शिक्षा जगत, तीनों सेनाओं और उद्योग जगत के कई विशिष्ट अतिथि एवं आमंत्रितजन उपस्थित थे। 14वें दीक्षांत समारोह में संस्थान ने विभिन्न विषयों के कुल 298 छात्रों को डिग्रियां प्रदान कीं, जिनमें 206 एमटेक छात्र, 68 एमएससी और 24 पीएचडी छात्र शामिल थे। इस वर्ष समारोह में कुल 18 स्वर्ण पदक छात्रों को प्रदान किए गए।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत ने अपनी स्वदेशी तकनीक के माध्यम से अपनी सीमाओं की रक्षा करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। डीआरडीओ और डीआईएटी जैसी संस्थाएं न केवल तकनीकी विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं, बल्कि भारत को वैश्विक स्तर पर एक मजबूत शक्ति के रूप में स्थापित करने में भी मदद कर रही हैं।
NationPress
09/08/2025

Frequently Asked Questions

ऑपरेशन सिंदूर क्या है?
ऑपरेशन सिंदूर एक बहुआयामी सैन्य अभियान है जो भारत की स्वदेशी तकनीक और सामरिक क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।
डीआरडीओ का क्या कार्य है?
डीआरडीओ भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन है, जो विभिन्न रक्षा तकनीकों और प्रणालियों का विकास करता है।
डीआईएटी का महत्व क्या है?
डीआईएटी डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी है, जो रक्षा क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और अनुसंधान प्रदान करता है।