क्या भारत केवल मिट्टी का टुकड़ा है, या सूफी संतों का देश और महान संस्कृति का प्रतीक?

सारांश
Key Takeaways
- भारत की संस्कृति हजारों वर्षों से जीवित है।
- सूफी संतों का योगदान इस देश को अद्वितीय बनाता है।
- नूंह को एकता और भाईचारे का प्रतीक माना जाता है।
- सूफी संगीत लोगों को जोड़ने का एक सशक्त माध्यम है।
- इस प्रकार के कार्यक्रम भारत की समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं।
नूंह, 3 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। 'सेवा पखवाड़ा' के अंतर्गत शुक्रवार को हरियाणा के राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल कॉलेज नल्हड़ में एक शानदार सूफी नाइट का आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम हरियाणा कला परिषद कुरुक्षेत्र द्वारा पेश किया गया था और इसकी थीम 'राष्ट्र प्रथम' थी, जिसका आयोजन सशक्त युवा फाउंडेशन और दरगाह विकास समिति के सहयोग से हुआ।
इस समारोह में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के ओएसडी राज नेहरू ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। उत्तर प्रदेश के प्रसिद्ध वारसी ब्रदर्स ग्रुप ने अपनी सूफियाना प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
राज नेहरू ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, "मैंने इस कार्यक्रम का हिस्सा बनने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि यह देश हमेशा से सूफी संतों की धरती रहा है। भारत केवल मिट्टी का टुकड़ा नहीं है, बल्कि यह सूफी संतों का देश और एक महान संस्कृति है। जहां दुनिया की कई बड़ी सभ्यताएं समाप्त हो गईं, वहीं भारत आज भी मजबूती से खड़ा है।"
उन्होंने कहा, "कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी। भारत की सभ्यता हजारों वर्षों से लोगों को जोड़ने वाली मशाल है।"
उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन के अवसर पर इस संस्कृति और एकता के संदेश को लोगों के दिलों तक पहुंचाना बेहद महत्वपूर्ण है ताकि यह मशाल हमेशा जलती रहे और देश तरक्की करे।
राज ने नूंह जिले के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह शहीदों की भूमि है और यहां की मिट्टी से मिरासी समाज के बड़े गायक (जैसे सलमान अली) निकले हैं। यह स्थान 'हम एक हैं, भारत एक है' के संदेश को पूरे देश में मजबूती से फैलाने के लिए सबसे उपयुक्त है, इसलिए नूंह को चुना गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मीडिया कोऑर्डिनेटर मुकेश वशिष्ठ, जिला अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह पिंटू और मेडिकल कॉलेज निदेशक डॉ. मुकेश कुमार सहित कई प्रमुख व्यक्ति उपस्थित रहे। सूफी नाइट में विशेष रूप से मिरासी समाज के लोगों को आमंत्रित किया गया, जिन्होंने अपनी गायन परंपरा के साथ कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया।