क्या सरकार को ईरान-इजरायल युद्ध पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए? : कांगेस नेता हुसैन दलवई

सारांश
Key Takeaways
- ईरान-इजरायल युद्ध हर दिन बढ़ रहा है।
- अमेरिका की भागीदारी ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
- भारत सरकार को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए।
- हुसैन दलवई का कहना है कि ईरान ने भारत की मदद की है।
- भारत की विदेश नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
मुंबई, 22 जून (राष्ट्र प्रेस)। ईरान-इजरायल युद्ध हर गुजरते दिन के साथ और गंभीर होता जा रहा है। इस लड़ाई में अब इजरायल के साथ अमेरिका की भागीदारी हो चुकी है। पूर्व कांग्रेस सांसद हुसैन दलवई ने केंद्र सरकार से इस युद्ध पर अपनी चुप्पी तोड़ने की अपील की है।
हुसैन दलवई ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "ईरान-इजरायल युद्ध में अमेरिका को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था। यह लड़ाई और बढ़ सकती है। अमेरिका को इजरायल को समझाना चाहिए था। यदि इजरायल युद्ध से पीछे हटता तो ईरान भी अपने आप पीछे हो जाता। ईरान पर जो हमला हो रहा है, वह गलत है। इससे पहले गाजा में भी इजरायल ने मानवता को शर्मसार करने वाला काम किया, लेकिन अमेरिका ने कुछ नहीं किया।"
उन्होंने आगे कहा कि भारत सरकार ने भी इस युद्ध में ईरान के पक्ष में कोई बात नहीं की है। नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के कहने पर सीजफायर कर दिया। यदि सीजफायर नहीं होता तो पीओके हमारे नियंत्रण में होता। उस हमले का क्या लाभ हुआ? सरकार को अमेरिका के हस्तक्षेप को रोकना चाहिए और इजरायल को भी रोकना चाहिए।
हुसैन दलवई ने कहा कि अमेरिका और इजरायल ईरान को इसलिए निशाना बना रहे हैं क्योंकि वह एक मुस्लिम देश है। दोनों किसी और देश को शक्तिशाली होते हुए नहीं देखना चाहते, इसलिए हमला कर रहे हैं। इजरायल का निर्माण अरब देशों की जमीन पर जबरदस्ती हुआ है।
पूर्व सांसद ने कहा कि ईरान कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन करता है। हमें अपनी करेंसी में तेल देता है। हमारे लोग शिक्षा और नौकरी के लिए ईरान जाते हैं, और वहां की सरकार हमारी नागरिकों की सुरक्षा करती है। भारत सरकार ये सब बातें भूल गई है और चुप्पी साधे हुए है। सरकार की चुप्पी का मतलब इजरायल का समर्थन है। सरकार को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए।
भारत सरकार पर हमला करते हुए पूर्व सांसद ने कहा कि भारत गांधी का देश है। लेकिन, सरकार इस समय सावरकर के विचारों को लेकर आगे बढ़ रही है और अमेरिका के दबाव में काम कर रही है। सरकार को अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और इजरायल पर युद्ध रोकने का दबाव बनाना चाहिए।