क्या नए अमेरिकी टैरिफ से भारत का निर्यात जीडीपी पर 0.3 से 0.4 प्रतिशत का नुकसान होगा?

सारांश
Key Takeaways
- नए अमेरिकी टैरिफ से निर्यात पर असर पड़ सकता है।
- भारत की निर्यात पर निर्भरता कम है।
- भारत का सर्विसेज निर्यात सुरक्षित है।
- विदेशी व्यापार वार्ता जारी रहनी चाहिए।
- संवेदनशील क्षेत्रों में सतर्कता आवश्यक है।
नई दिल्ली, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। नए अमेरिकी टैरिफ के कारण भारत का निर्यात जीडीपी में 0.3 प्रतिशत से 0.4 प्रतिशत तक का नुकसान हो सकता है। इसका मुख्य कारण है भारत की अर्थव्यवस्था का घरेलू बाजार पर जोर और अमेरिका को किए जाने वाले गुड्स निर्यात में भारत की हिस्सेदारी का अपेक्षाकृत कम होना। यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई है।
केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट में बताया गया है, "भारत की निर्यात पर निर्भरता कम है, और अमेरिका को किए जाने वाले गुड्स निर्यात का हिस्सा देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 2 प्रतिशत है, जो अतिरिक्त मजबूती प्रदान करता है।"
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि भारत का सर्विसेज निर्यात इन टैरिफ के प्रभाव से बाहर रहेगा, जिससे एक्सटर्नल सेक्टर को समर्थन मिलता रहेगा।
रिपोर्ट में अनुमान है कि वित्त वर्ष 26 में चालू खाता घाटा (सीएडी) सकल घरेलू उत्पाद का 0.9 प्रतिशत पर बना रहेगा।
रूस से भारत के तेल आयात में किसी भी प्रकार के विविधीकरण का सीएडी पर न्यूनतम प्रभाव पड़ने की संभावना है, क्योंकि रूसी यूराल और बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड के बीच मूल्य अंतर 2023 के औसत 20 डॉलर प्रति बैरल से घटकर लगभग 3 डॉलर प्रति बैरल रह गया है।
वित्त वर्ष 25 में अमेरिका को भारत का व्यापारिक निर्यात 87 अरब डॉलर रहा, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं का हिस्सा सबसे अधिक 17.6 प्रतिशत रहा। इसके बाद फार्मा उत्पाद 11.8 प्रतिशत और रत्न एवं आभूषण 11.5 प्रतिशत के साथ रहे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के कुल इलेक्ट्रॉनिक निर्यात में अमेरिका का हिस्सा 37 प्रतिशत है। इस क्षेत्र की कुछ प्रमुख वस्तुओं को 25 प्रतिशत अमेरिकी शुल्क से अस्थायी रूप से छूट दी गई है। इसके अतिरिक्त, अमेरिका को भारत के फार्मा निर्यात (जो भारत के कुल फार्मा निर्यात का 35 प्रतिशत है) को भी टैरिफ से बाहर रखा गया है।
वियतनाम, इंडोनेशिया और दक्षिण कोरिया जैसे कई एशियाई समकक्षों की तुलना में अमेरिका को अपने निर्यात के लिए भारत का सापेक्ष टैरिफ लाभ, 25 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ के बाद प्रभावी रूप से उलट गया है। इसके साथ ही, रूस के साथ भारत के व्यापारिक संबंधों से जुड़े अतिरिक्त पेनल्टी लगने की संभावना भी है।
हालांकि, भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता जारी रहने की उम्मीद है और इससे कुछ राहत मिल सकती है। फिर भी, भारत कृषि और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को खोलने को लेकर सतर्क रहेगा, जिससे संकेत मिलता है कि वार्ता पूरी होने में कुछ समय लग सकता है।