क्या भस्म आरती के बाद मस्तक पर ॐ लगाकर बाबा महाकाल ने भक्तों को दर्शन दिए और शांति का संदेश दिया?
सारांश
Key Takeaways
- भस्म आरती का आयोजन उज्जैन में हर शनिवार को होता है।
- बाबा महाकाल का शृंगार भक्तों में आस्था जगाता है।
- माथे पर ॐ लगाना शांति का प्रतीक है।
- अभिषेक में पंचामृत का उपयोग किया जाता है।
- बाबा का अद्भुत रूप हर दिन बदलता है।
उज्जैन, 8 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अगहन मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर शनिवार को उज्जैन में स्थित बाबा महाकाल का अद्भुत शृंगार किया गया। इस दिन भक्तों की बड़ी संख्या ने बाबा के दर्शन के लिए मंदिर में तांता लगाया। पूरा मंदिर परिसर महादेव के जयकारों से गूंज उठा।
इस दिन, प्रातः 4 बजे बाबा की भस्म आरती की गई। आरती के लिए भक्त देर रात से ही लाइन में लगना शुरू कर चुके थे।
यह भस्म आरती विशेष रूप से महत्वपूर्ण थी, क्योंकि बाबा महाकाल ने आरती के बाद अपने शृंगार में मस्तक पर ॐ लगाकर भक्तों को दर्शन दिए। बाबा के माथे पर लगा यह ॐ शांति का प्रतीक है, जिससे संसार में शांति का संदेश फैलता है।
भस्म आरती के कुछ नियम हैं। श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा के अनुसार, सुबह 4 बजे भगवान वीरभद्र से आज्ञा लेकर मंदिर के कपाट खोले जाते हैं, इसके बाद सभी देवी-देवताओं की आरती होती है और फिर बाबा की भस्म आरती की जाती है।
महानिर्वाणी अखाड़े द्वारा भस्म आरती के लिए भस्म प्रदान की जाती है। इस आरती में बाबा का निराकार रूप दर्शाया जाता है, जहाँ वे केवल भस्म से स्नान करते हैं।
आरती से पहले, बाबा पर दूध, दही, घी, शक्कर, पंचामृत और फलों के रस से अभिषेक किया जाता है। इसके बाद बाबा को श्वेत वस्त्र पहनाकर भस्म आरती की जाती है, और उन्हें शृंगार स्वरूप सजाया जाता है। इस समय उनके माथे पर ॐ लगाया जाता है और उन्हें मुकुट पहनाया जाता है।
जैसे ही बाबा का शृंगार पूर्ण होता है, भक्त उनके अद्भुत रूप के दर्शन करते हैं। बाबा का यह रूप साकार स्वरूप माना जाता है। हर दिन बाबा भस्म आरती के बाद एक अनोखा शृंगार करते हैं। पिछले शुक्रवार को उन्होंने चांद धारण किया और नवीन मुकुट पहनकर भक्तों को दर्शन दिए।