क्या फूड पाइप है बेहद खास? जानें इससे जुड़े अनसुने तथ्य

सारांश
Key Takeaways
- फूड पाइप भोजन को पेट तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- यह अपने आप चलने वाली परिस्टाल्टिक क्रियाओं से काम करती है।
- फूड पाइप की बीमारियों में एसिड रिफ्लक्स और कैंसर शामिल हैं।
- आयुर्वेदिक उपाय और स्वस्थ जीवनशैली इसे स्वस्थ रखने में मदद करती है।
- फूड पाइप का नियंत्रण वेगस तंत्रिका द्वारा होता है।
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। फूड पाइप, जिसे आयुर्वेद में 'अन्नवह स्रोतस' कहा जाता है, हमारे शरीर की पाचन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह भोजन को मुंह से पेट तक पहुंचाने का कार्य करती है। यह एक साधारण पाइप की तरह दिखती है, लेकिन यह भोजन की यात्रा का पहला और सबसे महत्वपूर्ण चरण है।
फूड पाइप लगभग २५ सेंटीमीटर लंबी पेशीय नली होती है, जो गले से शुरू होकर पेट तक जाती है और रीढ़ की हड्डी तथा श्वासनली के पीछे स्थित होती है। इसका ऊपरी हिस्सा गले से जुड़ा होता है, जबकि निचला हिस्सा सीधे पेट से संबंधित होता है।
फूड पाइप का कार्य केवल भोजन को नीचे की ओर ले जाना ही नहीं है, बल्कि यह अपने आप चलने वाली परिस्टाल्टिक क्रियाओं के माध्यम से भोजन को पेट तक पहुंचाती है। इसका अर्थ है कि यह केवल गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर नहीं करती। यदि कोई व्यक्ति उल्टा खड़ा होकर भी पानी पीता है, तो भी फूड पाइप पानी को पेट में पहुंचा देती है।
इस प्रक्रिया को नियंत्रित करने के लिए फूड पाइप के दोनों सिरों पर स्पिंक्टर नामक द्वार होते हैं। ऊपरी स्पिंक्टर भोजन को नीचे जाने देता है, जबकि निचला स्पिंक्टर (एलईएस) पेट के अम्ल को ऊपर आने से रोकता है। जब लोअर एसोफिजिअल स्फिन्कटर कमजोर हो जाता है, तो एसिड रिफ्लक्स जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जिससे गले में जलन, आवाज बैठने और खांसी जैसी परेशानियां हो सकती हैं। यही कारण है कि फूड पाइप आवाज और श्वसन तंत्र से भी जुड़ी हुई है।
फूड पाइप का नियंत्रण मुख्य रूप से वेगस तंत्रिका और स्वायत्त तंत्रिका तंत्र द्वारा किया जाता है। यही वजह है कि भोजन निगलने के बाद प्रक्रिया अपने आप चलती है और हमें इसका एहसास नहीं होता। फूड पाइप न केवल भोजन को पेट तक पहुंचाने में, बल्कि स्वाद तथा तृप्ति की अनुभूति में भी योगदान करती है। जब भोजन पेट की ओर जाता है, तो इसकी नसें मस्तिष्क को संदेश भेजती हैं, जिससे हमें संतोष और स्वाद का अनुभव होता है।
हालांकि, फूड पाइप से जुड़ी कई बीमारियां भी आम हैं। इनमें एसिड रिफ्लक्स, फूड पाइप का संक्रमण, निगलने में कठिनाई, अल्सर, और कैंसर शामिल हैं। दुनिया में पाए जाने वाले आम कैंसरों में से एक एसोफैजियल कैंसर भी है, जिसका प्रमुख कारण तंबाकू, शराब और बहुत गरम पेय का सेवन है। साथ ही, यदि भोजन फूड पाइप में फंस जाए और निचला स्पिंक्टर न खुले, तो यह अचलासिया कार्डिया नामक बीमारी का कारण बन सकता है।
आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय फूड पाइप को स्वस्थ रखने में मददगार होते हैं। मुलेठी का चूर्ण गले की खराश और जलन में राहत देता है, जबकि अजवाइन और सौंफ पाचन को बेहतर बनाते हैं। एलोवेरा जूस फूड पाइप की सूजन को कम करता है और गिलोय-तुलसी संक्रमण से बचाता है। दूध और केला हल्की जलन में तुरंत आराम पहुंचाते हैं। जीवनशैली में सुधार जैसे भोजन के तुरंत बाद न सोना, तंग कपड़े न पहनना, धूम्रपान और शराब से दूरी बनाना तथा योग-प्राणायाम को अपनाना भी फूड पाइप को स्वस्थ रखने में बेहद कारगर है।