क्या भोपाल में डीआरआई ने तेंदुए की खाल जब्त की?
सारांश
Key Takeaways
- भोपाल में डीआरआई ने तेंदुए की खाल जब्त की।
- तीन आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं।
- यह कार्रवाई खुफिया सूचना पर आधारित थी।
- वन्यजीव संरक्षण कानून के तहत व्यापार प्रतिबंधित है।
- डीआरआई की भूमिका जैव विविधता की रक्षा में महत्वपूर्ण है।
भोपाल, ८ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अवैध वन्यजीव व्यापार के खिलाफ राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) की नागपुर क्षेत्रीय इकाई ने एक महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। मुंबई क्षेत्रीय इकाई के तहत क्रियाशील इस टीम ने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक होटल से तेंदुए की खाल, जिसमें सिर भी शामिल था, जब्त की और तीन संदिग्ध व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। यह कार्रवाई विशेष खुफिया सूचना के आधार पर की गई थी।
मुखबिर की सूचना के बाद, डीआरआई के अधिकारियों ने भोपाल के एक होटल में छापेमारी की, जहाँ तीन संदिग्ध तेंदुए की खाल की ट्रॉफी बेचने की योजना बना रहे थे। तलाशी के दौरान यह दुर्लभ ट्रॉफी बरामद हुई।
वन्यजीव अधिनियम के तहत तेंदुए की खाल, अंगों या ट्रॉफी का व्यापार, बिक्री, और कब्जा पूरी तरह से प्रतिबंधित है। उल्लंघन के लिए सख्त दंड का प्रावधान है। जब्त की गई वस्तु और गिरफ्तार किए गए तीन व्यक्तियों को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत आगे की कार्रवाई के लिए वन प्रभाग भोपाल को सौंप दिया गया।
यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी, डीआरआई मुंबई की टीम वन्यजीव तस्करी के खिलाफ लगातार अभियान चला रही है। मई में उज्जैन, महाराष्ट्र में दो तेंदुए की खालें, एक जंगली सूअर और हाथी का दांत जब्त किया गया था।
जुलाई में मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में बिजली के झटके से बाघ शावक की हत्या के मामले में छह आरोपी पकड़े गए। इस कार्रवाई में नौ बाघ के नाखून, 61 हड्डियां और शावक का आंशिक सड़ा शव बरामद हुआ। अगस्त में ओडिशा के रायगढ़ में दो तेंदुए की खालें जब्त कर चार तस्कर गिरफ्तार किए गए।
राज्य वन विभाग, सीमा शुल्क और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर खुफिया-संचालित ऑपरेशन चलाए जा रहे हैं। भारत की जैव विविधता को अवैध शिकार और अंतर्राष्ट्रीय तस्करी से बचाने में डीआरआई की भूमिका महत्वपूर्ण है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ये नेटवर्क एशिया के अवैध बाजारों से जुड़े होते हैं, जहाँ वन्यजीव उत्पादों की मांग निरंतर बनी हुई है। डीआरआई के प्रवक्ता ने कहा, “हमारी टीम दिन-रात लगी हुई है। वन्यजीव संरक्षण केवल कानून का पालन नहीं है, बल्कि पारिस्थितिकी संतुलन की रक्षा भी है। यह कार्रवाई अन्य तस्करों के लिए चेतावनी है कि कानून की पकड़ से कोई बच नहीं सकता।”