क्या एनसीआर में प्रदूषण की मार से जनता बेहाल है, दिसंबर में हवा रेड जोन में रही?
Key Takeaways
- एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक बना हुआ है।
- हवा की गुणवत्ता में सुधार की कोई उम्मीद नहीं है।
- बच्चों और बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।
- अस्पतालों में प्रदूषण से संबंधित मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है।
- हाइब्रिड और ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की जा रही हैं।
नई दिल्ली, २४ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण ने इस दिसंबर आम लोगों की सांसें पूरी तरह से जकड़ रखी हैं। पूरे महीने के दौरान एक भी दिन ऐसा नहीं हुआ जब एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) ऑरेंज जोन में पहुंचा हो।
दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद के लगभग सभी निगरानी केंद्र लगातार रेड जोन और कई स्थानों पर सीवियर श्रेणी में दर्ज किए गए। दिल्ली के विभिन्न इलाकों में एक्यूआई बेहद खतरनाक स्तर पर बना हुआ है। नेहरू नगर में एक्यूआई ३९२, पुसा (डीपीसीसी) में ३८३, मुंडका में ३७८, ओखला फेज-२ में ३७४, विवेक विहार में ३७३, वजीरपुर में ३६८, रोहिणी में ३६७ और पंजाबी बाग में ३६६ दर्ज किया गया। नरेला में एक्यूआई ३४६ और नजफगढ़ में ३११ रहा, जबकि शादिपुर में ३१० और नॉर्थ कैंपस डीयू में ३२४ रिकॉर्ड किया गया।
इन आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली की हवा लगातार रेड जोन में बनी हुई है। नोएडा की स्थिति भी इससे भिन्न नहीं है। सेक्टर-१ नोएडा में एक्यूआई ३९२, सेक्टर-१२५ में ३४९, सेक्टर-११६ में ३५७ दर्ज किया गया, जबकि सेक्टर-६२ नोएडा में एक्यूआई २९६ रहा, जो बेहद खराब श्रेणी में आता है। ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-५ में एक्यूआई ३५४ और नॉलेज पार्क-३ में ३२१ दर्ज किया गया। गाजियाबाद में भी प्रदूषण गंभीर बना हुआ है। वसुंधरा में एक्यूआई ३७१, संजय नगर में ३३५, लोनी में २७० और इंदिरापुरम में २४० रिकॉर्ड किया गया।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्तर बच्चों, बुजुर्गों और सांस के रोगियों के लिए बेहद खतरनाक है। मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में प्रदूषण से राहत की कोई उम्मीद नहीं है। २४ और २५ दिसंबर को मध्यम कोहरा रहने की संभावना जताई गई है, जबकि २६ दिसंबर को घना कोहरा पड़ने का पूर्वानुमान है। तापमान १९ डिग्री अधिकतम और ७ से ९ डिग्री न्यूनतम रहने की संभावना है, वहीं आर्द्रता ९५ से १०० प्रतिशत तक बनी रहेगी, जिससे प्रदूषण अधिक समय तक वातावरण में फंसा रहेगा।
प्रदूषण के चलते अस्पतालों में सांस, आंखों में जलन, खांसी और अस्थमा के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कई सरकारी और निजी अस्पतालों की ओपीडी में प्रदूषण से संबंधित मरीजों की संख्या में ४० से ५० प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है। गंभीर हालात को देखते हुए एनसीआर के कई स्कूलों में हाइब्रिड और ऑनलाइन मोड में ही कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। विशेषज्ञों ने लोगों को अनावश्यक रूप से बाहर न निकलने, मास्क पहनने और बच्चों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है।