क्या राजद हाफ, सन ऑफ मल्लाह साफ, कांग्रेस को पंजे की अंगुलियों के बराबर भी सीट नहीं मिली?

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क्या राजद हाफ, सन ऑफ मल्लाह साफ, कांग्रेस को पंजे की अंगुलियों के बराबर भी सीट नहीं मिली?

सारांश

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने महागठबंधन को जड़ से उखाड़ फेंका। महिलाओं के समर्थन ने नीतीश कुमार को जीत दिलाई, जबकि महागठबंधन के नेता अपनी साख बचाने में नाकाम रहे। जानें कैसे बिहार की जनता ने राजनीतिक समीकरणों को बदल दिया।

Key Takeaways

  • महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत बढ़ा है।
  • एनडीए की जीत का श्रेय नीतीश कुमार की नीतियों को दिया जा रहा है।
  • महागठबंधन की गलतियों ने उन्हें नुकसान पहुंचाया।
  • कांग्रेस का प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा।
  • बिहार की राजनीतिक स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं।

नई दिल्ली, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। 2010 के 15 वर्ष बाद बिहार विधानसभा चुनाव में इस प्रकार का प्रदर्शन एनडीए ने दोहराया है, जहां एनडीए की आंधी ने महागठबंधन को जड़ सहित उखाड़ फेंका है। महागठबंधन के कई महत्वपूर्ण नेताओं के लिए अपनी साख बचाना भी कठिन हो रहा है। इस सब का श्रेय बिहार की महिला मतदाताओं को दिया जा रहा है, जिनका 71 वाला फार्मूला नीतीश कुमार के लिए संजीवनी साबित हुआ है, वहीं महागठबंधन को यह समझ में नहीं आया कि कैसे इन मतदाताओं ने उनकी राजनीतिक जड़ें खोदकर रख दी हैं।

वास्तव में, महागठबंधन की तरफ से सरकार बनाने का दावा और राजद के प्रवक्ताओं द्वारा प्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनने का दावा दोनों खोखला साबित हुआ है। इस चुनाव के लिए दो चरणों के मतदान के बाद जानकार इस बात का दावा करते रहे कि एनडीए को महिलाओं, ओबीसी और ईबीसी वर्ग का मजबूत समर्थन मिलेगा, लेकिन महागठबंधन इसे पूरी तरह से खारिज करता रहा।

इस चुनाव में महागठबंधन ने एसआईआर (मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण) को चुनाव का मुख्य मुद्दा बनाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन जमीनी हकीकत यह रही कि जनता को विपक्ष का यह चुनावी मायाजाल उलझा नहीं पाया।

बिहार चुनाव के रुझानों और नतीजों पर नजर डालें तो यहां हालात ऐसे हो गए हैं कि राजद हाफ, सन ऑफ मल्लाह साफ, कांग्रेस को पंजे की अंगुलियों के बराबर भी सीट नहीं मिलती नजर आ रही है। बिहार चुनाव में महागठबंधन सीटों की हाफ सेंचुरी भी लगाता नहीं दिख रहा है।

बिहार चुनाव के जो रुझान और नतीजे आ रहे हैं, उससे यह भी स्पष्ट है कि नीतीश कुमार का राजनीतिक प्रभुत्व महिला-केंद्रित कल्याणकारी नीतियों पर उनके रणनीतिक फोकस के कारण है, जिसकी वजह से इस विधानसभा चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड), भाजपा और एनडीए के अन्य सहयोगी दलों को व्यापक सफलता मिलती नजर आ रही है।

दूसरी ओर, महागठबंधन पूरी तरह से महिला मतदाताओं को आकर्षित करने में असफल रहा। तेजस्वी यादव की 'माई बहन मान' योजना तक को नीतीश कुमार की पहले से चल रही योजनाओं के सामने महिलाओं ने स्वीकार नहीं किया।

बिहार की राजनीति में अपने आपको 'सन ऑफ मल्लाह' कहने वाले महागठबंधन में शामिल विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी, जिनकी राजनीतिक शुरुआत एनडीए की बैसाखी के सहारे हुई थी, ने एनडीए से अलग रास्ता चुना और महागठबंधन में शामिल हुए, लेकिन अब स्थिति ऐसी है कि उनकी पार्टी को एक भी सीट मिलती नहीं दिख रही है, जबकि वह तो बिहार का उपमुख्यमंत्री बनने का सपना पाले बैठे थे। मुकेश सहनी की पार्टी को कुल 15 सीटें महागठबंधन में मिली लेकिन उनका रॉकेट तो फुस्स निकला।

कांग्रेस की भी बिहार में यह स्थिति पहले नहीं हुई थी। इस बार तो कांग्रेस से अच्छा स्ट्राइक रेट जीतन राम मांझी और चिराग पासवान की पार्टियों का नजर आ रहा है जो एनडीए के खेमे में हैं, जबकि कांग्रेस 60 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रही थी। 2020 में कांग्रेस को 19 सीटों पर जीत मिली थी।

इसका मतलब यह है कि बिहार की जनता, खासकर वहां की महिला मतदाताओं को नीतीश सरकार में ही आशा की किरण नजर आई और इसी कारण मतदान का जो प्रतिशत रहा, उसमें महिला मतदाताओं ने पुरुष मतदाताओं से लगभग 10 प्रतिशत ज्यादा मतदान किया और यही मतदान सरकार बनाने के लिए निर्णायक साबित हुआ।

Point of View

जबकि महागठबंधन को अपनी गलतियों का खामियाजा भुगतना पड़ा। यह चुनावी नतीजे हमें दिखाते हैं कि जनता का मूड क्या है।
NationPress
14/11/2025

Frequently Asked Questions

बिहार चुनाव में एनडीए की जीत का मुख्य कारण क्या था?
नीतीश कुमार की महिला-केंद्रित नीतियों और मजबूत सामाजिक आधार ने एनडीए को जीत दिलाई।
महागठबंधन की हार का मुख्य कारण क्या रहा?
महागठबंधन महिलाओं को आकर्षित करने में असफल रहा, जो चुनाव में निर्णायक साबित हुआ।
कांग्रेस की स्थिति इस बार कैसी रही?
कांग्रेस को इस बार भी पहले से बेहतर प्रदर्शन नहीं मिल सका, जबकि अन्य छोटे दलों ने बेहतर प्रदर्शन किया।
महिला मतदाताओं का मतदान प्रतिशत कैसे रहा?
महिला मतदाताओं ने पुरुषों की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत ज्यादा मतदान किया।
बिहार की राजनीति में क्या बदलाव आया है?
महिलाओं की राजनीतिक भूमिका अब अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, जो भविष्य में और भी प्रभाव डालेगी।