क्या मल्लिकार्जुन खड़गे ने बिहार चुनाव में महागठबंधन की मजबूती की बात की?
सारांश
Key Takeaways
- महागठबंधन चुनाव में आत्मविश्वास से भरा है।
- एनडीए के दावे झूठे साबित हो रहे हैं।
- प्रियंका गांधी और राहुल गांधी सक्रिय रूप से प्रचार कर रहे हैं।
- नीतीश कुमार को अलग-थलग किया गया है।
- महिलाओं और दलितों के मुद्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, ८ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव के संदर्भ में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को कहा कि महागठबंधन आत्मविश्वास से भरा हुआ है और सक्रियता से कार्य कर रहा है। हमारे सभी सदस्य चुनावी मैदान में हैं। शनिवार को भी प्रियंका गांधी तीन सभाएं आयोजित कर रही हैं।
खड़गे ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने शुक्रवार को तीन सभाएं की थीं, मैंने दो सभाएं कीं, और रविवार को राहुल गांधी फिर से चुनाव प्रचार में भाग लेंगे। इसके अलावा तेजस्वी यादव भी पूरी ऊर्जा के साथ प्रचार में जुटे हैं। हमारे सहयोगी, जैसे कि वीआईपी पार्टी, भी कड़ी मेहनत कर रहे हैं। यह स्पष्ट है कि महागठबंधन मजबूत हो रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एनडीए के १६० सीटों की जीत का दावा किया, जिस पर मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि वे हमेशा झूठे दावे करते हैं और अब उनके झूठ का जवाब देना उचित नहीं लगता। उन्होंने कहा कि गनीमत है कि उन्होंने यह नहीं कहा कि २४३ सीटें आएंगी। इससे पहले भी वे ऐसे झूठ बोल चुके हैं।
खड़गे ने कहा कि ये लोग देश के संविधान को समाप्त करना चाहते हैं। अगर आप इनके झूठ में फंसते हैं तो खुद का बहुत बड़ा नुकसान कर सकते हैं। केंद्र सरकार ने कहा, "हमने महिलाओं को सम्मान दिया, उन्हें जागरूक किया," लेकिन असलियत यह है कि आज महिलाओं और दलितों पर अत्याचार हो रहा है। उन्होंने लोकसभा चुनाव में 'चार सौ पार' कहा था, लेकिन खुद से सरकार नहीं बना पाए।
उन्होंने कहा कि इनका असली खेल चुनाव के बाद सामने आएगा, क्योंकि एनडीए ने नीतीश कुमार को अपना सीएम चेहरे के रूप में घोषित नहीं किया है और उन्हें अलग-थलग कर दिया है।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि अगर कोई कनपटी पर कट्टा रखने की बात करता है, तो क्या ट्रंप ने कनपटी पर कट्टा रखकर अपनी बात मनवाई है? हमें कोई नहीं डरा सकता। हम गठबंधन के लोग हैं, मजबूती से लड रहे हैं, और लोकतंत्र में सब कुछ जनता तय करती है।
उन्होंने कहा कि गयाजी, भारत के सबसे पवित्र स्थलों में से एक, हिंदू, बौद्ध और जैन धर्मों के लिए आस्था का केंद्र है। नीतीश कुमार ने केवल 'गया' का नाम बदलकर 'गयाजी' किया, लेकिन जनता के जीवन में कोई वास्तविक परिवर्तन नहीं लाए।