क्या मनेर विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास मिठास और खटास दोनों से भरा है?

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क्या मनेर विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास मिठास और खटास दोनों से भरा है?

सारांश

मनेर विधानसभा क्षेत्र की राजनीतिक इतिहास में मिठास और खटास का अनूठा मेल देखने को मिलता है। यह क्षेत्र न केवल चुनावी समीकरणों का गढ़ है, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है। जाने मनेर के लड्डू की मिठास और उसके राजनीतिक महत्व के बारे में।

Key Takeaways

  • मनेर विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास यादव समुदाय और राजद के इर्द-गिर्द घूमता है।
  • मनेर के लड्डू की मिठास सोन नदी के मीठे पानी से आती है।
  • मनेर, बिहार की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है।
  • यह क्षेत्र बहुत सी राजनीतिक गतिविधियों का गवाह रहा है।
  • मनेर की मिठाईयों की डिमांड राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है।

पटना, २५ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। पटना जिले का मनेर विधानसभा क्षेत्र बिहार की राजनीति में केवल एक चुनावी सीट नहीं है, बल्कि यह वह भूमि है जहां सूफी संतों की पवित्र वाणी, संस्कृत के महानतम विद्वानों की शिक्षा और राजनीति के सबसे कठिन मुकाबले आपस में मिलते हैं।

गंगा और सोन नदियों के पवित्र संगम पर स्थित यह कस्बा, अपने मनेर के लड्डू की मिठास के साथ-साथ, बिहार के राजनीतिक समीकरणों को भी सालों से खट्टा-मीठा अनुभव प्रदान करता रहा है।

मनेर विधानसभा क्षेत्र, पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। राजनीति में इस सीट की भूमिका निर्णायक रही है, जहां वर्षों से यादव समुदाय का वर्चस्व बना हुआ है।

इस जातीय समीकरण के कारण, जिस पार्टी ने यादव वोट बैंक को सफलतापूर्वक साधा, उसकी जीत लगभग सुनिश्चित रही है। यही कारण है कि यह सीट लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का एक मजबूत गढ़ बन चुकी है।

मनेर के राजनीतिक इतिहास में शुरुआत में कांग्रेस पार्टी ने ७ बार जीत दर्ज की थी, जबकि आरजेडी ५ बार विजयी हुई है। निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी दो बार यहां से बाजी मारी है, लेकिन पिछले एक दशक से यहां राजद का दबदबा कायम है।

राजद के मौजूदा विधायक भाई वीरेंद्र इस सीट से लगातार तीन बार जीत हासिल कर चुके हैं।

२०२० विधानसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के निखिल आनंद को ३२,९१७ वोटों के बड़े अंतर से हराया।

२०१५ में उन्होंने श्रीकांत निराला को २२,८२८ वोटों से पराजित किया। २०१० में उन्होंने अपनी जीत का सिलसिला शुरू किया था।

मनेर की राजनीति में दल-बदल का चलन भी खूब रहा है। यादव परिवार (जिसने कुल आठ बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है) ने लगभग सभी प्रमुख दलों से चुनाव लड़ा है।

यह क्षेत्र पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र के तहत आता है, जहां राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को २००९ में हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन उनकी बेटी मीसा भारती ने २०२४ के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करके इस सीट पर पार्टी की उपस्थिति को फिर से मजबूत किया। २०२४ के लोकसभा चुनाव में मनेर विधानसभा क्षेत्र ने राजद को ३४,४५९ वोटों की बढ़त दी, जो शायद नवंबर महीने में शुरू हो रहे विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की मजबूत स्थिति को दर्शाता है।

मनेर, जिसे प्राचीन काल में मनियार मठान यानी संगीतमय नगरी के नाम से जाना जाता था, इसकी जड़ें उतनी ही पुरानी हैं जितनी की पाटलिपुत्र की। यह वह स्थान है जहां संस्कृत के महान व्याकरणाचार्य पाणिनि ने अपनी विश्व प्रसिद्ध रचना अष्टाध्यायी की रचना से पहले अध्ययन किया था।

आज, मनेर शरीफ के नाम से मशहूर यह जगह १३वीं सदी के सूफी संत मखदूम याह्या मनेरी और १६वीं सदी के मखदूम शाह दौलत की दरगाहों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्होंने इसे इस्लामी शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र बनाया। हालांकि, इस पर बौद्ध और जैन परंपराओं का भी गहरा असर रहा है। नदी के किनारे स्थित एक जर्जर किला आज भी इसके गौरवशाली अतीत की कहानी सुनाता है, जो इस्लामी प्रभाव से पहले यहां मौजूद था।

इतिहास और धर्म से परे, मनेर की पहचान उसकी एक खास मिठाई मनेर का लड्डू से है। कहा जाता है कि इन लड्डुओं का बेमिसाल स्वाद सोन नदी के मीठे पानी के कारण आता है, जिसे शुद्ध घी और अन्य सामग्री के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है।

एनएच-३० के किनारे इन लड्डुओं की दुकानें लगी रहती हैं, और इनकी डिमांड सिर्फ बिहार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ये विदेशों में भी उपहार स्वरूप भेजे जाते हैं। यह मिठाई ग्रामीण और शहरी भारत के उस मेल को दर्शाती है, जहां परंपरा और आधुनिकता एक साथ आगे बढ़ रही है।

मनेर सिर्फ मीठे लड्डुओं की भूमि नहीं है, बल्कि यह बिहार की सांस्कृतिक विरासत और उसके कड़े राजनीतिक संघर्षों की एक जीती-जागती कहानी है।

Point of View

जहां सांस्कृतिक धरोहर और चुनावी समीकरण जुड़े हुए हैं। यह क्षेत्र न केवल बिहार की राजनीति की जटिलताओं को दर्शाता है, बल्कि वहां की सामाजिक संरचना को भी उजागर करता है। ऐसे में, मनेर का महत्व केवल स्थानीय चुनावों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी एक अध्ययन का विषय बनता है।
NationPress
25/10/2025

Frequently Asked Questions

मनेर विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास क्या है?
मनेर विधानसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास मिठास और खटास दोनों से भरा हुआ है। यह क्षेत्र यादव समुदाय के वोट बैंक पर निर्भर करता है और राजद का मजबूत गढ़ है।
मनेर के लड्डू की विशेषता क्या है?
मनेर के लड्डू का स्वाद सोन नदी के मीठे पानी के कारण होता है और यह शुद्ध घी और अन्य सामग्री से बनते हैं।
क्या मनेर विधानसभा क्षेत्र में दल-बदल का चलन है?
हाँ, मनेर विधानसभा क्षेत्र में दल-बदल का चलन रहा है, जिसमें यादव परिवार ने कई प्रमुख दलों से चुनाव लड़ा है।
कौन सी पार्टी मनेर में प्रमुख है?
मनेर में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की प्रमुखता है, जो पिछले एक दशक से इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए हुए है।
मनेर की सांस्कृतिक धरोहर क्या है?
मनेर की सांस्कृतिक धरोहर में सूफी संतों की दरगाहें, प्राचीन शिक्षा और स्थानीय मिठाई 'मनेर का लड्डू' शामिल हैं।