क्या बिहार में टिकट बंटवारे के कारण कांग्रेस से इस्तीफा दिया डॉ. शकील अहमद ने?
सारांश
Key Takeaways
- टिकट वितरण को लेकर असंतोष का बढ़ना
- वरिष्ठ नेताओं का पार्टी से हटना
- राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल
- बिहार चुनाव में पार्टी की स्थिति पर चिंता
- नेताओं के बीच सम्मान और पहचान की कमी
नई दिल्ली, 11 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. शकील अहमद ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि मेरा मन दुखी है। मैं बिहार के चुनाव में टिकट वितरण को लेकर भी निराश था।
डॉ. शकील अहमद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "मैं नाराज हूं, और चुनावों में जो हुआ, खासकर टिकट वितरण में, वह निराशाजनक था। मैंने तीन साल पहले ही घोषणा कर दी थी कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा। लोग परिवार के लिए भी पार्टी में रहते हैं, लेकिन मेरा कोई बेटा अब पार्टी में नहीं आना चाहता है। सम्मान और पहचान के लिए भी लोग पार्टी में रहते हैं, और अगर वह भी नहीं मिलता, तो कोई क्यों रहेगा?"
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के बनाए गए लोग ही आज पार्टी में बचे हुए हैं। जहां वरिष्ठ लोगों का सम्मान नहीं है, वहां क्यों रहना चाहिए? हम पार्टी की सदस्यता छोड़ रहे हैं, लेकिन पार्टी पर अभी भी हमारा पूरा विश्वास है। यह कहना इतना आसान नहीं है कि राहुल गांधी का नेतृत्व विफल हो रहा है। अगर वरिष्ठ नेता, यहां तक कि वे भी जिन्होंने कहा है कि वे सांसद या विधायक नहीं बनना चाहते, और न ही अपने बच्चों को बनाना चाहते हैं, अभी भी पार्टी में हैं, तो यह सम्मान और पहचान के लिए है।"
उन्होंने बताया कि उन्होंने जानबूझकर आज का दिन चुना क्योंकि उन्होंने 15 दिन पहले ही फैसला कर लिया था, लेकिन वह चुनाव के बीच में इस्तीफा देकर गलत संदेश नहीं देना चाहते थे। वह नहीं चाहते थे कि उनकी वजह से पार्टी को 5 वोट भी गंवाने पड़े, इसलिए उन्होंने पहले इस्तीफा नहीं दिया। चुनाव शाम 6 बजे खत्म हुए और उन्होंने लगभग शाम के 6:05-6:10 बजे कांग्रेस अध्यक्ष को इस्तीफा भेज दिया।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राष्ट्र प्रेस-मैटराइज एग्जिट पोल पर डॉ. शकील अहमद ने कहा, "मैंने अभी तक कोई एग्जिट पोल नहीं देखा है, लेकिन एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल हमेशा सही नहीं होते हैं। 2015 में भी सारे ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल फेल हुए थे। हमेशा सही हों, ये हम नहीं मानते हैं।