क्या बिहार की जनता को विकास चाहिए या विनाश? : सम्राट चौधरी

सारांश
Key Takeaways
- बिहार की जनता को विकास का विकल्प चुनना है।
- लालूवाद और नीतीशवाद की लड़ाई महत्वपूर्ण है।
- राहुल गांधी की यात्रा का प्रभाव सीमित है।
- अखिलेश यादव का परिवार में दबदबा है।
- राजनीतिक निर्णयों का भविष्य पर बड़ा असर होगा।
पटना, 31 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सम्राट चौधरी ने रविवार को कहा कि विधानसभा चुनाव में यह स्पष्ट है कि सीधे 'लालूवाद' और 'नीतीशवाद' के बीच संघर्ष है। बिहार की जनता को यह तय करना है कि उसे विनाश चाहिए या विकास।
पटना में मीडिया से बातचीत में उन्होंने लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि देश और बिहार की राजनीति में दिल्ली में एक युवराज है, जिसके परिवार ने 55 वर्षों तक सत्ता का आनंद लिया है और एक बिहार में हैं, जो खुद को राजा मानते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि जब तक लालू यादव सासाराम नहीं गए, तब तक राहुल गांधी की 'वोटर अधिकार यात्रा' शुरू नहीं हुई। इन लोगों को कोई नहीं पहचानता। वे सासाराम से बाहर नहीं निकल सके। जब तक लालू यादव नहीं पहुंचे, राहुल गांधी में यात्रा पर निकलने की हिम्मत नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि बिहार में लालू यादव हैं, जिन्हें कांग्रेस पार्टी ने जेल में डाल दिया।
सम्राट चौधरी ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से जुड़े एक प्रश्न पर तंज कसते हुए कहा कि वे स्वतंत्र तौर पर मुख्यमंत्री नहीं रहे हैं। उन पर तीन-तीन सुपर मुख्यमंत्री थे। पहले मुलायम सिंह, फिर रामगोपाल यादव और शिवपाल यादव थे। अब तो परिवार और बढ़ गया है। अब धर्मेंद्र यादव, बच्चा यादव और डिंपल यादव भी शामिल हो गए हैं। अब ये बेचारे क्या करेंगे?
उन्होंने कहा कि इन लोगों ने उत्तर प्रदेश को लूटा है। अखिलेश यादव को बताना चाहिए कि क्या वे अपने परिवार के बाहर के किसी व्यक्ति को वहां मुख्यमंत्री बना सकते हैं?