क्या बिहार में गरीबों की सेवा का संकल्प पूरा हो रहा है? : मंगल पांडेय

सारांश
Key Takeaways
- 4 करोड़ आयुष्मान कार्ड धारक बिहार में हैं।
- यह योजना गरीबों को 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य कवर देती है।
- बिहार देश का तीसरा राज्य बना है जिसमें इतने अधिक कार्ड वितरित हुए हैं।
- यह योजना 2018 में शुरू हुई थी।
- लाभार्थियों की पहचान एसईसीसी 2011 के आंकड़ों के आधार पर की जाती है।
पटना, 29 जून (आईएनएस)। बिहार में आयुष्मान कार्ड धारकों की संख्या 4 करोड़ को पार कर गई है। इस उपलब्धि के बाद स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय और उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने सरकार की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि गरीबों की सेवा करने का संकल्प पूरा हो रहा है।
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए योजना की सफलता की सराहना की। उन्होंने कहा, "बिहार में स्वास्थ्य विभाग ने एक बहुत बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गरीबों की सेवा करने का जो सपना था, उसे वास्तविकता में बदल दिया गया है। प्रदेश में 4 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं। इतने अधिक कार्ड वितरित करने वाला बिहार देश का केवल तीसरा राज्य बन गया है। इसके अंतर्गत लोगों को पांच लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जाता है।"
बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने भी प्रदेश में आयुष्मान कार्ड योजना की उपलब्धि की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "बढ़ते और विकसित बिहार के सच को लोग अब सभी देखने और जानने लगे हैं। निश्चित तौर पर आयुष्मान कार्ड की सफलता से प्रधानमंत्री का सपना साकार हुआ है। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पीएम मोदी के नेतृत्व में बिहार की डबल इंजन सरकार का परिणाम है।"
पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में हमने गरीबों की सेवा करने का जो संकल्प लिया है, उसे बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने साकार किया है।
उल्लेखनीय है कि 2018 में शुरू की गई 'आयुष्मान भारत योजना' वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ी स्वास्थ्य आश्वासन योजना है, जो 12 करोड़ से अधिक गरीब और कमजोर परिवारों को लक्षित करती है। यह योजना माध्यमिक और तृतीयक अस्पताल में भर्ती होने के लिए प्रति परिवार 5 लाख रुपए का वार्षिक स्वास्थ्य कवर प्रदान करती है। लाभार्थियों की पहचान ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के लिए सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 के आंकड़ों के आधार पर की जाती है।