क्या गृह विभाग भाजपा के पास जाने से बिहार में स्थिति बदल जाएगी?
सारांश
Key Takeaways
- गृह विभाग का भाजपा के पास जाना राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव ला सकता है।
- वित्त और वाणिज्य विभाग की अहमियत पर जोर दिया गया।
- प्रेम कुमार का निर्विरोध अध्यक्ष चुना जाना राजनीतिक स्थिरता का संकेत है।
पटना, २ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। १८वीं बिहार विधानसभा के पहले सत्र का मंगलवार को दूसरा दिन है। मंगलवार को भाजपा के नेता प्रेम कुमार को विधानसभा अध्यक्ष के रूप में चुना गया है।
इस बीच, जदयू के नेता और बिहार के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने गृह विभाग भाजपा के पास जाने को लेकर कहा कि वित्त और वाणिज्य विभाग अब जदयू के पास आ गया है।
विधानसभा परिसर में उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान पत्रकारों द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गृह विभाग छीन लिए जाने को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा, "गृह विभाग तो छीन गया, ये तो यह सुर्खियों में है, लेकिन इससे भी बड़ा विभाग वित्त और वाणिज्य हमारे पास है, ये कभी सुर्खियां नहीं बनीं। वित्त और वाणिज्य से बड़ा कोई विभाग नहीं है।"
मंत्री चौधरी ने विधानसभा अध्यक्ष चुने जाने को लेकर कहा कि भाजपा के प्रेम कुमार निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए, क्योंकि नामांकन की अंतिम तिथि तक किसी अन्य प्रत्याशी ने पर्चा दाखिल नहीं किया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष पद पहले भी भाजपा के पास था। यह कोई नई बात नहीं है।
उन्होंने कहा कि प्रेम कुमार बहुत पुराने और अनुभवी सदस्य हैं। सरकार का भी अनुभव है और विपक्ष का भी अनुभव है। इसलिए सभी को आशा है कि उनकी अध्यक्षता में सदन सुचारू रूप से चलेगा।
बता दें कि सोमवार को गया सदर से निर्वाचित प्रेम कुमार ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया है। उनका निर्विरोध चुना जाना तय माना जा रहा था। प्रेम कुमार भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। गया सदर विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे इस सीट से इस बार लगातार नौंवी बार विधायक चुने गए हैं। बिहार सरकार में उन्होंने विभिन्न विभागों के मंत्री का दायित्व भी सफलतापूर्वक निभा चुके हैं।