क्या धमदाहा में जदयू का किला कायम रहेगा या समीकरण बदलेंगे?

सारांश
Key Takeaways
- धमदाहा विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में जनता दल (यूनाइटेड) का मजबूत आधार है।
- लेशी सिंह की राजनीतिक यात्रा इस क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है।
- यहाँ की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है, जो बाढ़ के कारण प्रभावित होती है।
- धमदाहा में विकास की कई चुनौतियाँ हैं, जिनका समाधान आवश्यक है।
- आगामी चुनावों में समीकरण बदलने की संभावना है।
पटना, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पूर्णिया जिले के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित धमदाहा विधानसभा सीट बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण और आकर्षक स्थान रखती है। यह मुख्यतः एक ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र है और लंबे समय से जनता दल (यूनाइटेड) का अभेद्य किला साबित हुआ है। लेशी सिंह इस क्षेत्र की सबसे प्रमुख राजनीतिक हस्ती हैं, जिन्होंने अब तक पांच बार जदयू के टिकट पर जीत हासिल की है।
धमदाहा, जो जिला मुख्यालय पूर्णिया से 32 किमी पश्चिम में स्थित है, पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र का एक हिस्सा है। यहाँ की समतल और उपजाऊ भूमि को कोसी और फुलहार नदियों ने बनाया है। हालांकि, ये नदियाँ जहाँ मिट्टी को उपजाऊ बनाती हैं, वहीं हर साल आने वाली मौसमी बाढ़ किसानों और बुनियादी ढांचे के लिए एक बड़ी चुनौती भी बन जाती हैं।
धमदाहा की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से कृषि पर निर्भर करती है। यहाँ धान, मक्का, गेहूं और जूट बड़े पैमाने पर उगाए जाते हैं, लेकिन सिंचाई की कमी और बाढ़ की समस्या उत्पादन को प्रभावित करती है। इसके अलावा, छोटे व्यापार, डेयरी फार्मिंग और प्रवासी श्रमिकों की कमाई भी यहाँ के आर्थिक ताने-बाने में योगदान देती हैं।
1957 में स्थापित इस विधानसभा सीट में धमदाहा प्रखंड और कृत्यानंद नगर ब्लॉक के 15 ग्राम पंचायत शामिल हैं। यहाँ का चुनावी इतिहास दर्शाता है कि अब तक 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इनमें कांग्रेस ने छह बार, जदयू ने पांच बार, जनता पार्टी ने दो बार, जबकि संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल और राजद ने एक-एक बार जीत दर्ज की है। समाजवादी विचारधारा का प्रभाव यहाँ लंबे समय तक रहा, लेकिन 2000 से जदयू (तब समता पार्टी) ने इस सीट पर मजबूत पकड़ बना ली है।
लेशी सिंह ने 2000, फरवरी 2005, 2010, 2015 और 2020 में जीत हासिल की, जबकि केवल अक्टूबर 2005 में वे राजद के दिलीप कुमार यादव से हारी थीं। लेशी सिंह के दिवंगत पति और समता पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष मधुसूदन सिंह, जिन्हें बुटन सिंह के नाम से जाना जाता है, यहाँ के प्रभावशाली स्थानीय नेता रहे हैं। बुटन सिंह का सार्वजनिक जीवन विवादों से भरा रहा। लेशी सिंह के राजनीतिक करियर पर बुटन सिंह का प्रभाव भी देखा जाता है। 2000 में पति की हत्या के बाद लेशी सिंह ने राजनीति में कदम रखा और तब से चुनावी मैदान में सक्रिय हैं।
विकास के मोर्चे पर, धमदाहा को बाढ़ नियंत्रण, सड़क निर्माण और शिक्षा के बुनियादी ढांचे में सुधार की आवश्यकता है। इसके बावजूद, जदयू की पकड़ यहाँ इतनी मजबूत है कि इसे सुरक्षित सीट माना जाता है। 2024 के लोकसभा चुनावों में भले ही भाजपा और कांग्रेस के बीच कई सीटों पर टकराव देखने को मिले, लेकिन धमदाहा में जदयू का आधार लगभग अडिग बना हुआ है।
चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, इस सीट की अनुमानित जनसंख्या 5,52,886 है, जिसमें 2,81,722 पुरुष और 2,71,164 महिलाएं शामिल हैं। कुल 3,26,417 मतदाताओं में 1,67,956 पुरुष, 1,58,450 महिलाएं और 11 थर्ड जेंडर मतदाता हैं।