क्या बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले पुलिस आपराधिक घटनाओं पर ध्यान दे रही है?

सारांश
Key Takeaways
- बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पुलिस ने सुरक्षा बढ़ाई है।
- पिछले पांच सालों के अपराधों का विश्लेषण किया जा रहा है।
- कुख्यात अपराधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
- सोशल मीडिया पर भ्रामक जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
- चुनाव में शांति बनाए रखने के लिए रणनीतियाँ बनाई जा रही हैं।
पटना, 2 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र, प्रदेश में कानून-व्यवस्था का विषय चर्चा का केंद्र बन गया है। विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार पर हमले कर रहा है। इसी बीच, बिहार पुलिस ने अपराध नियंत्रण के लिए अपनी तैयारियों को और तेज कर दिया है।
पिछले पांच वर्षों में घटित अपराधों के इतिहास का विश्लेषण किया जा रहा है और अपराधियों की जानकारी एकत्र की जा रही है। पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जेल में बंद कुख्यात अपराधी भी अपराध की साजिशें रच सकते हैं, इसलिए उन पर नजर रखना आवश्यक है। हाल ही में जेल से रिहा हुए अपराधियों की जैसे सुपारी किलर, लुटेरे, डकैत और अन्य गंभीर अपराधों में संलिप्त लोगों की सूची बनाने का आदेश भी दिया गया है।
थाना स्तर पर इन अपराधियों की गतिविधियों की नियमित निगरानी की जा रही है। बताया जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले, पुलिस ने अपराधियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। हत्या, लूट, डकैती और चुनाव के दौरान दंगा जैसे गंभीर अपराधों में शामिल बदमाशों को पुलिस रिमांड पर ले रही है।
गोपालगंज के पुलिस अधीक्षक अवधेश दीक्षित ने कहा, "इस साल के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए, वर्ष 2021 से 2025 के बीच के मामलों में जिनमें पेशेवर अपराधियों की भागीदारी रही है, उन सभी मामलों और संलिप्त अपराधियों की सूची तैयार की गई है। जो अपराधी जेल से बाहर हैं, उनके सत्यापन हो रहे हैं। जेल में बंद अपराधियों की भी जानकारी एकत्र की जा रही है, ताकि चुनाव में शांति बनी रहे।"
उन्होंने कहा कि पुलिस अपराधियों पर कड़ी नजर रख रही है। पुलिस ने विधानसभा चुनाव को निर्बाध और शांति के साथ संपन्न कराने के लिए रणनीतियाँ बनानी शुरू कर दी हैं। पुलिस अधिकारियों को लंबित गिरफ्तारी के मामलों की थाना स्तर पर निगरानी और निष्पादन का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही, कुर्की जब्ती और वारंटों को तामिल करने में भी तेजी लाने की बात कही गई है। निर्वाचन और शस्त्र अधिनियम से संबंधित मामलों का शीघ्र अनुसंधान पूरा करने को कहा गया है।
पुलिस मुख्यालय ने सोशल मीडिया यूनिट और साइबर सेल को भी इंटरनेट मीडिया पर भ्रामक और भड़काऊ पोस्ट करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए जिला स्तर पर विशेष टीमें भी बनाई गई हैं, जो इंटरनेट मीडिया पर नजर रख रही हैं।