क्या बिहार विधानसभा चुनाव में सिमरी बख्तियारपुर की मखाने की महक और सियासत की गर्मी बनी रहेगी?

Click to start listening
क्या बिहार विधानसभा चुनाव में सिमरी बख्तियारपुर की मखाने की महक और सियासत की गर्मी बनी रहेगी?

सारांश

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सिमरी बख्तियारपुर सीट की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति पर गहन चर्चा। मखाने की खेती और स्थानीय मुद्दों का चुनावी समीकरण पर प्रभाव।

Key Takeaways

  • सिमरी बख्तियारपुर की राजनीतिक स्थिति महत्वपूर्ण है।
  • मखाने की खेती ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है।
  • जातिगत समीकरण चुनाव परिणामों को प्रभावित करते हैं।
  • स्थानीय मुद्दों पर ध्यान देना आवश्यक है।
  • वोटर्स की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।

पटना, 19 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सहरसा जिले की सिमरी बख्तियारपुर सीट पर हर किसी की नज़र जम गई है। खगड़िया लोकसभा क्षेत्र में स्थित यह विधानसभा सीट न केवल राजनीतिक दृष्टि से, बल्कि सामाजिक और आर्थिक पहलुओं से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सिमरी बख्तियारपुर एक अनुमंडल स्तरीय कस्बा है, जो आस-पास के गाँवों को बड़े बाजारों से जोड़ने का प्रमुख केंद्र है। इसे सहरसा जिले का दूसरा सबसे बड़ा बाजार माना जाता है। यहां का भौगोलिक क्षेत्र समतल और उपजाऊ है, जहां धान, गेहूं और मक्का की खेती बड़े पैमाने पर होती है। साथ ही, मखाने की खेती यहां की पहचान बन चुकी है, जिसकी मांग न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी लगातार बढ़ रही है। यही कारण है कि मखाना खेती ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की है। इसके अतिरिक्त, चावल मिल और ईंट भट्ठे जैसे लघु उद्योग भी रोजगार के अवसर पैदा करते हैं।

भौगोलिक स्थिति की बात करें तो सहरसा मुख्यालय यहां से लगभग 20 किमी, मधेपुरा 30 किमी, खगड़िया 45 किमी, मुंगेर 83 किमी और बेगूसराय 106 किमी दूर है। राज्य की राजधानी पटना की दूरी लगभग 190 किमी है। सिमरी बख्तियारपुर राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे स्टेशन से जुड़ा होने के कारण बेहतर कनेक्टिविटी रखता है।

इस विधानसभा की स्थापना 1951 में हुई थी और 1952 में पहली बार चुनाव हुए। हालांकि, पहले परिसीमन आयोग की सिफारिश पर यह सीट समाप्त कर दी गई थी, लेकिन 1967 में दोबारा स्थापित हुई और 1969 से यहां नियमित रूप से चुनाव हो रहे हैं। अब तक यहां 16 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2009 और 2019 के दो उपचुनाव भी शामिल हैं। इस सीट पर कांग्रेस ने सबसे अधिक आठ बार जीत हासिल की है। जदयू चार बार विजयी रहा है, जबकि राजद ने 2019 के उपचुनाव में पहली बार कब्जा जमाया और 2020 में भी अपनी पकड़ बरकरार रखी।

2005, 2010 और 2015 में यह सीट जदयू के कब्जे में रही, जिसमें दिनेश चंद्र यादव ने लगातार मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। वहीं, 2019 के उपचुनाव में राजद के युसुफ सलाउद्दीन ने जीत हासिल कर समीकरण बदल दिए और 2020 के चुनाव में भी उन्होंने वीआईपी के मुकेश सहनी को हराकर सीट अपने पास रखी। इससे यह स्पष्ट है कि अब इस क्षेत्र में भाजपा की प्रत्यक्ष मौजूदगी उतनी मजबूत नहीं है और मुख्य मुकाबला जदयू और राजद के बीच ही देखने को मिलता है।

2024 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा की अनुमानित जनसंख्या 5,91,400 है। इसमें 3,02,767 पुरुष और 2,88,633 महिलाएं शामिल हैं। कुल मतदाता संख्या 3,51,506 है, जिनमें 1,82,540 पुरुष, 1,68,950 महिलाएं और 16 थर्ड जेंडर मतदाता हैं।

यहां का राजनीतिक समीकरण जातिगत आधार पर काफी हद तक प्रभावित होता है। यादव, मुस्लिम, कुशवाहा और दलित वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते हैं। यही कारण है कि राजद को यहां सामाजिक आधार मिला, जबकि जदयू ने विकास और व्यक्तिगत छवि पर चुनावी जीत हासिल की।

स्थानीय मुद्दों की बात करें तो बाढ़ नियंत्रण, मखाना उद्योग को बढ़ावा, सड़क-रेल कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सुविधाएं और युवाओं को रोजगार जैसे मुद्दे चुनावी बहस का केंद्र बने हुए हैं। जनता इस बार उन प्रत्याशियों की ओर झुक सकती है जो बाढ़ और पलायन जैसी गंभीर समस्याओं का ठोस समाधान पेश करेंगे।

Point of View

NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

सिमरी बख्तियारपुर का क्या महत्त्व है?
सिमरी बख्तियारपुर न केवल राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां की कृषि और स्थानीय उद्योग भी अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हैं।
यहां के प्रमुख मुद्दे कौन से हैं?
यहां के प्रमुख मुद्दों में बाढ़ नियंत्रण, मखाना उद्योग, सड़क-रेल कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य सुविधाएं और युवाओं को रोजगार शामिल हैं।