क्या बीजापुर में सुरक्षाबलों को मिली बड़ी सफलता? मुठभेड़ में 5 लाख का इनामी नक्सली ढेर

सारांश
Key Takeaways
- सुरक्षाबलों ने 5 लाख रुपये के इनामी नक्सली को ढेर किया।
- मुठभेड़ में भारी मात्रा में हथियार बरामद हुए।
- बीजापुर में 103 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया।
- नक्सलवाद के खिलाफ अभियान जारी है।
- पिछले वर्षों में नक्सलियों की गतिविधियों में कमी आई है।
बीजापुर, 3 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में सुरक्षाबलों को एक महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त हुई है। सुरक्षाबलों ने एक मुठभेड़ में 5 लाख रुपये के इनामी नक्सली को मार गिराया है और मौके से भारी मात्रा में हथियार भी बरामद किए गए हैं।
सुरक्षा बलों को बीजापुर के गंगालूर थाना क्षेत्र के गमपुर-पुरंगेल के जंगलों में नक्सलियों की मौजूदगी की जानकारी मिली थी। सूचना मिलते ही सुरक्षाबलों ने पूरे क्षेत्र को घेरकर सर्च ऑपरेशन शुरू किया। इस दौरान नक्सलियों ने एसटीएफ और डीआरजी के जवानों पर फायरिंग कर दी। फायरिंग का जवाब देते हुए सुरक्षा बलों ने दो घंटे में 5 लाख के इनामी नक्सली को नष्ट कर दिया।
मारे गए माओवादी की पहचान गमपुर निवासी आयतु पोड़ियाम (35) के रूप में हुई है। वह गंगालूर एरिया कमेटी का सदस्य था और इस पर 5 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
बीजापुर पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र यादव ने बताया कि विश्वसनीय सूचना के आधार पर डीआरजी और एसटीएफ की संयुक्त टीम ने सर्चिंग अभियान चलाया। इस दौरान मुठभेड़ हुई जो रुक-रुक कर चलती रही। मुठभेड़ स्थल से पुलिस ने एक बीजीएल लॉन्चर, एक सिंगल शॉट बंदूक, तीन बीजीएल सेल, तीन राउंड, वॉकी-टॉकी, टीफिन बम, कार्डेक्स वायर, सेफ्टी फ्यूज, माओवादी वर्दी एवं अन्य नक्सली सामग्री बरामद की।
इससे पहले बीजापुर जिले में 103 माओवादियों ने गुरुवार को वरिष्ठ पुलिस और अर्धसैनिक अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया था। यह आत्मसमर्पण क्षेत्र में माओवादी नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए चल रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है।
हथियार डालने वालों में 49 माओवादी शामिल थे, जिन पर कुल 1.06 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। इनमें डीवीसीएम, पीपीसीएम, एसीएम, मिलिशिया कमांडर और जनता सरकार के सदस्य जैसे उच्च पदस्थ कैडर शामिल थे।
पिछले दो वर्षों में कुल 924 गिरफ्तारियां, 599 आत्मसमर्पण, और 195 माओवादियों की मौत हुई। अधिकारियों का मानना है कि यह रुझान माओवादी विचारधारा की कमजोरी और नक्सल-विरोधी अभियानों की बढ़ती प्रभावशीलता को दर्शाता है।