क्या बीएमसी चुनाव से पहले उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका मिला?
सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी घोसालकर ने शिवसेना (यूबीटी) से इस्तीफा दिया।
- अभिषेक घोसालकर की हत्या ने उनके जीवन पर गहरा असर डाला।
- राजनीतिक परिस्थितियों में बदलाव की आवश्यकता महसूस हुई।
- जनता का समर्थन महत्वपूर्ण है।
- समाज के लिए ईमानदारी से काम करने का संकल्प।
मुंबई, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव से पहले शिवसेना (यूबीटी) को एक गंभीर राजनीतिक झटका लगा है। दहिसर की स्थानीय महिला नेता तेजस्वी घोसालकर ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने निर्णय के बारे में फेसबुक पोस्ट के माध्यम से जानकारी दी।
तेजस्वी घोसालकर, दिवंगत शिवसेना (यूबीटी) नेता अभिषेक घोसालकर की पत्नी हैं। अभिषेक की हत्या के बाद यह घटना और भी गंभीर हो गई थी। आरोपी ने भी आत्महत्या कर ली थी। इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच कर रही है। इस घटना ने न केवल राजनीतिक हलकों में, बल्कि पूरे महाराष्ट्र में गहरी सनसनी फैला दी थी।
अपने इस्तीफे के साथ साझा की गई भावनात्मक फेसबुक पोस्ट में तेजस्वी ने कहा कि आज उनके दिल में भावनाओं का ज्वार है। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें इतने भारी मन से ऐसे शब्द लिखने होंगे। उनके दर्द को शब्द नहीं व्यक्त कर सकते, लेकिन संवाद आवश्यक है।
तेजस्वी ने खुद को एक साधारण परिवार की लड़की बताते हुए लिखा कि वह घोसालकर जैसे राजनीतिक परिवार में बहू बनकर आईं। उनके लिए राजनीति या समाज सेवा कभी महत्वाकांक्षा का साधन नहीं रही। यह सफर उन्होंने अपने ससुर विनोद घोसालकर और पति अभिषेक घोसालकर के समर्थन में शुरू किया।
जब सब कुछ सामान्य था, तब अभिषेक और तेजस्वी के मन में अपने परिवार, बच्चों और दहिसर-बोरीवली के लोगों के लिए कई सपने थे, लेकिन किस्मत ने कुछ और ही मंजूर किया। एक पल में सब कुछ बदल गया।
तेजस्वी ने बताया कि दो छोटे बच्चों की जिम्मेदारी, टूटे हुए दिल और लोगों के भरोसे के बोझ के बावजूद उन्होंने खुद को संभाले रखा। उन्होंने स्वीकार किया कि वह कई बार लड़खड़ाईं, लेकिन गिरी नहीं, क्योंकि जनता ने हर कदम पर उनका साथ दिया।
फेसबुक पोस्ट में उन्होंने राजनीति में काम करने, जनता की सेवा करने और परिवार की जिम्मेदारियों को निभाने में आ रही कठिनाइयों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में उन्हें केवल किसी पद की नहीं, बल्कि पूरे दिल से, निडरता के साथ समर्थन की आवश्यकता है।
तेजस्वी ने यह स्पष्ट किया कि वह यह नहीं कह रही हैं कि उनकी पार्टी या नेता उन्हें ताकत नहीं दे सकते, लेकिन पिछले कुछ वर्षों के अनुभवों के आधार पर, उन्हें एक अलग निर्णय पर विचार करना पड़ा है।
उन्होंने कहा कि उनके जीवन के सबसे कठिन समय में मिला समर्थन वह कभी नहीं भूलेंगी। जब भी और जहां भी मौका मिलेगा, वह मिले हुए प्यार और विश्वास को लौटाएंगी। जाति, धर्म, दल या विचारधारा से ऊपर उठकर जब भी लोगों को उनकी जरूरत होगी, वह मदद के लिए आगे आएंगी।
पोस्ट के अंत में तेजस्वी घोसालकर ने लिखा कि अभिषेक के निधन के बाद उनके जीवन का एक ही लक्ष्य रह गया है। समाज के लिए ईमानदारी से काम करना और अपने बच्चों और सहयोगियों की देखभाल करना। उन्होंने कहा कि जनता ही उनका परिवार है और उन्हें उम्मीद है कि लोग बदलती परिस्थितियों में उनके इस कठिन फैसले को समझेंगे।