क्या बसपा गांव-गांव अभियान छेड़ने की तैयारी में है, सोशल इंजीनियरिंग के नए समीकरण को अजमाने की योजना?

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क्या बसपा गांव-गांव अभियान छेड़ने की तैयारी में है, सोशल इंजीनियरिंग के नए समीकरण को अजमाने की योजना?

सारांश

बसपा मुखिया मायावती की रैली ने पार्टी को नई ऊर्जा दी है। अब वह गांव-गांव जाकर सामाजिक समीकरणों को मजबूत करने की योजना बना रही हैं। 16 अक्टूबर को होने वाली बैठक में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। क्या यह बसपा के लिए नई संभावनाएं खोलेगा?

Key Takeaways

  • बसपा की नई रणनीति गांव-गांव जाकर सोशल इंजीनियरिंग का कार्य करना है।
  • रैली में आई भीड़ ने पार्टी को नया उत्साह दिया है।
  • 16 अक्टूबर की बैठक में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए जाएंगे।
  • पार्टी की स्थिति को मजबूत करने के लिए कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया जाएगा।
  • दलित युवाओं का समर्थन पाने के लिए प्रयास जारी हैं।

लखनऊ, 13 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती की रैली में जुटी भीड़ ने पार्टी को नई ऊर्जा प्रदान की है। निराश हो चुके कार्यकर्ताओं में नई उम्मीद जगी है। बसपा के नेता रैली के बाद से ही गांव-गांव जाकर अभियान शुरू कर चुके हैं। माना जा रहा है कि 16 अक्टूबर को होने वाली बैठक में मायावती उन्हें सोशल इंजीनियरिंग से संबंधित महत्वपूर्ण कार्य सौंपेंगी।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि मायावती ने मंच से अपने समर्थकों को एक बड़ा संदेश दिया था। उन्होंने ब्राह्मण, क्षत्रिय, पिछड़ा और मुस्लिम का एकत्रीकरण पेश किया था। अब पार्टी इस फॉर्मूले को基层 स्तर तक पहुंचाना चाहती है, जो सपा के पीडीए का एक प्रभावी जवाब हो सकता है। पार्टी की ओर से इस दिशा में कोई आधिकारिक कार्यक्रम अभी तक घोषित नहीं किया गया है, लेकिन कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि 16 अक्टूबर की बैठक में इस पर कोई ठोस योजना बन सकती है।

बसपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि हालाँकि बसपा ने मंच से संदेश दिया था, लेकिन 16 अक्टूबर की राज्यस्तरीय बैठक में जारी दिशा-निर्देशों से तस्वीर स्पष्ट होगी। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने कहा कि बहन जी की बातों का असर हमेशा जमीन पर दिखाई देता है। रैली में आई भीड़ दरअसल मार्च से की गई बूथ स्तर की बैठकों का परिणाम है। हमारे नेता गांव-गांव जाकर बसपा के सभी फॉर्मूलों को समझा रहे हैं। इसके साथ ही वह सेक्टर का गठन भी कर रहे हैं। जो पीडीए की बात कर रहे हैं, वह केवल लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। उन्होंने केवल नाम बदलकर गुमराह किया है। कभी यह आदिवासी है, कभी अगड़ा।

पाल ने कहा कि सोशल इंजीनियरिंग का यह फार्मूला मान्यवर कांशीराम का दिया हुआ है। गांव-गांव जाकर इस बारे में लोगों को बताया जा रहा है। आगे की रणनीति 16 अक्टूबर को मायावती द्वारा तय की जाएगी। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि बसपा पिछले 13 साल से सत्ता से दूर है। वर्तमान में पार्टी की स्थिति अत्यंत खराब है। उसके पास केवल एक विधायक है। न ही राज्यसभा में कोई प्रतिनिधित्व है और न ही लोकसभा में। इस कारण 9 अक्टूबर की रैली में आई भीड़ ने बसपा को एक नई ऊर्जा प्रदान की। इस भीड़ ने न केवल सपा, बल्कि भाजपा को भी अपनी रणनीति बदलने के लिए मजबूर कर दिया है।

प्रदेश अध्यक्ष और समन्वयक गांव-गांव जाकर लोगों को समझा रहे थे और रैली में आने के लिए प्रेरित कर रहे थे। मंच से जो सोशल मीडिया का फॉर्मूला दिखाया गया, उसका भी बड़ा संदेश गया। इसमें ब्राह्मण, ठाकुर, मुस्लिम, पिछड़ा और अन्य जातियों का समावेश था। आगे चलकर विधानसभा चुनाव में इसी तरह के कुछ फॉर्मूलों की उम्मीद की जा सकती है। रैली में मायावती ने छोटी-छोटी मीटिंग में शामिल होने के संकेत दिए हैं। इससे उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। दलित युवाओं में आकाश का क्रेज है। उनके यूपी भ्रमण की बातें भी सुनने को मिल रही हैं, जिससे यह निश्चित है कि बुआ-भतीजे की जोड़ी हिट हो सकती है।

Point of View

बसपा की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है। पिछले 13 वर्षों से सत्ता से दूर रहना पार्टी के लिए चुनौती है। हालिया रैली में जुटी भीड़ ने सकारात्मक संकेत दिए हैं, लेकिन इसे स्थायी रूप में बदलने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। सोशल इंजीनियरिंग की रणनीति को सही ढंग से लागू कर मायावती को अपनी पार्टी को फिर से सशक्त बनाना होगा।
NationPress
13/10/2025

Frequently Asked Questions

बसपा की योजना क्या है?
बसपा गांव-गांव जाकर सोशल इंजीनियरिंग के जरिए अपने वोटरों को एकजुट करने की योजना बना रही है।
16 अक्टूबर की बैठक में क्या होगा?
उम्मीद है कि मायावती जी बैठक में कार्यकर्ताओं को महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश देंगी।
रैली में जुटी भीड़ का क्या महत्व है?
रैली में जुटी भीड़ ने बसपा को नई ऊर्जा दी है और यह पार्टी की रणनीति में बदलाव का संकेत है।