क्या इन आदतों को अपनाकर बुढ़ापे में हड्डियों की कमजोरी से छुटकारा पाया जा सकता है?

सारांश
Key Takeaways
- प्रोटीन और कैल्शियम युक्त आहार लें।
- धूप में समय बिताएं ताकि विटामिन D मिल सके।
- नियमित व्यायाम करें, जैसे चलना और योग।
- धूम्रपान और शराब से बचें।
- वजन को संतुलित रखें।
मुंबई, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। बढ़ती उम्र के साथ अगर स्वास्थ्य का उचित ध्यान नहीं रखा गया, तो कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। बुढ़ापे में हमारी मांसपेशियां और हड्डियां युवावस्था की अपेक्षा काफी कमजोर हो जाती हैं। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्या गंभीर रूप ले सकती है। ऐसे में यह आवश्यक है कि आप पहले से ही इनकी देखभाल करना प्रारंभ कर दें।
ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसा हड्डी रोग है जो वृद्धावस्था में होता है, जिसमें हड्डियों की मिनरल डेंसिटी और बोन मास में कमी आ जाती है। साधारण भाषा में कहें तो हड्डियां अत्यंत कमजोर हो जाती हैं और थोड़ी सी चोट लगने पर इनमें फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। यह बीमारी सामान्यतः उम्र के साथ बढ़ती है।
हालांकि, बढ़ती उम्र के साथ कुछ महत्वपूर्ण चीजें अपनाकर हड्डियों की कमजोरी की रफ्तार को कम किया जा सकता है। नेशनल हेल्थ मिशन के अनुसार, वृद्धावस्था में हड्डियों से संबंधित समस्याओं से बचने के लिए अपनी डाइट में प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें। जैसे, मसूर दाल, राजमा, चना, अंडा, दूध, पनीर, दही आदि में शाकाहारी लोगों के लिए पर्याप्त प्रोटीन होता है। यदि आप मांसाहारी हैं तो मछली का सेवन भी लाभकारी साबित होगा। प्रोटीन शरीर में ऊतकों की मरम्मत करने और बॉडी मास को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे हड्डियों को सपोर्ट मिलता है।
इसके साथ ही बुजुर्गों को कुछ समय धूप में भी बिताना चाहिए। धूप से विटामिन डी प्राप्त होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाने, इम्यूनिटी को बढ़ाने और कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है। आप सूर्य की रोशनी के साथ-साथ मछली जैसे सैल्मन, मैकेरल, ट्यूना या अंडे की जर्दी, फोर्टिफाइड दूध, अनाज को भी डाइट में शामिल कर सकते हैं।
कैल्शियम की कमी से भी हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आप दूध, पनीर, दही, हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, केल, सरसों के पत्ते, बादाम, तिल, सोया मिल्क आदि का सेवन कर सकते हैं।
हड्डियों की मजबूती के लिए बुढ़ापे में उम्र के अनुसार हल्के-फुल्के व्यायाम करना भी बहुत फायदेमंद है। जैसे, रोजाना पैदल चलना, योग, और हल्की-फुल्की शारीरिक गतिविधियां करना बेहद आवश्यक हैं। इससे ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएं कम होती हैं और पूरे दिन शरीर एनर्जेटिक भी रहता है। गलत पोस्चर में बैठने से भी हड्डियों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। व्यायाम से यह समस्या भी दूर की जा सकती है।
धूम्रपान और शराब वृद्धावस्था में हड्डियों को कमजोर कर सकते हैं और साथ ही यह ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं को बढ़ावा देते हैं। इसलिए, आपको इनका सेवन करने से बचना चाहिए।
इसके अतिरिक्त, अधिक वजन के कारण भी हड्डियों पर दबाव पड़ता है, जिससे हड्डियां और जोड़ों कमजोर होने लगते हैं। इसलिए अपने वजन को नियंत्रित रखें।