क्या सीबीआई अब देशभर में डिजिटल अरेस्ट मामलों की जांच करेगी?

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क्या सीबीआई अब देशभर में डिजिटल अरेस्ट मामलों की जांच करेगी?

सारांश

सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट से जुड़े मामलों पर चिंता जताते हुए सीबीआई को जांच का आदेश दिया। यह कदम उन मामलों की गंभीरता को दर्शाता है, जहां सीनियर सिटिजन्स को ठगा गया है।

Key Takeaways

  • डिजिटल अरेस्ट मामलों की जांच अब सीबीआई करेगी।
  • सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई से भी जवाब मांगा है।
  • सभी राज्य सरकारें साइबर क्राइम सेंटर स्थापित करेंगी।
  • बैंकरों की भूमिका की जांच की जाएगी।
  • पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

नई दिल्ली, 1 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। देश में डिजिटल अरेस्ट से संबंधित मामलों में तेजी से वृद्धि को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस डिजिटल अरेस्ट स्कैम की जांच अब सीबीआई द्वारा की जाएगी। यह जांच अन्य स्कैम से अलग और प्राथमिकता के आधार पर की जाएगी।

मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने सीबीआई को मामलों की सम्पूर्ण जांच का आदेश दिया है। इसके साथ ही, एजेंसी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसीए) के तहत बैंकरों की भूमिका की जांच करने की पूरी स्वतंत्रता भी प्रदान की गई है, खासकर उन मामलों में जहां डिजिटल अरेस्ट स्कैम को अंजाम देने के लिए बैंक खाते खोले गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को भी पक्षकार बनाया है। कोर्ट ने आरबीआई से पूछा है कि देश में ऐसे बैंक खातों की पहचान कर अपराध की कमाई को फ्रीज़ करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग कब लागू की जाएगी? बेंच ने कहा कि यह तकनीक लाखों लोगों को ठगने वाले डिजिटल अरेस्ट गिरोहों पर रोक लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आईटी इंटरमीडियरी रूल्स 2021 के तहत सभी अधिकारियों को सीबीआई को पूरा सहयोग करना होगा। जिन राज्यों ने अभी तक सीबीआई को मंजूरी नहीं दी है, उन्हें भी आईटी एक्ट 2021 से संबंधित मामलों की जांच के लिए अनुमति देने का निर्देश दिया गया है ताकि सीबीआई देश भर में बड़े पैमाने पर कार्रवाई कर सके।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर सीबीआई इंटरपोल की सहायता भी ले सकती है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम में फर्जी या एक ही पहचान पर कई सिम कार्ड जारी करने के मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम विभाग को निर्देश दिया है कि वह एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत करे। इसका उद्देश्य टेलीकॉम कंपनियों को सख्त दिशा-निर्देश जारी करना है ताकि सिम कार्ड का दुरुपयोग रोका जा सके और अपराधियों पर नियंत्रण किया जा सके।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी राज्य सरकारें तुरंत साइबर क्राइम सेंटर स्थापित करें। यदि किसी राज्य को इस प्रक्रिया में कोई समस्या होती है, तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट को सूचित कर सकता है।

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि आईटी नियमों के तहत, राज्यों की पुलिस साइबर अपराध मामलों में जब्त किए गए सभी मोबाइल फोन और डिजिटल उपकरण का डेटा सुरक्षित रूप से संरक्षित करे।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि आईटी एक्ट 2021 के तहत दर्ज हर एफआईआर को सीबीआई को सौंप दिया जाए, ताकि एक केंद्रीकृत और मजबूत जांच संभव हो सके।

सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने के बाद बड़ी संख्या में पीड़ित सामने आए हैं, जिनमें से अधिकतर सीनियर सिटिजन्स हैं। उन्हें विभिन्न तरीकों से धमकाकर, डराकर और ऑनलाइन गिरफ्तार दिखाकर ठगा गया है।

Point of View

बल्कि यह भी दिखाता है कि न्यायपालिका नागरिकों की सुरक्षा को लेकर कितनी सजग है। सीबीआई द्वारा की जाने वाली जांच से उन पीड़ितों को न्याय मिलने की उम्मीद है, जो विभिन्न ठगी के तरीकों का शिकार बने हैं।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

डिजिटल अरेस्ट क्या है?
डिजिटल अरेस्ट एक प्रकार का ठगी है, जिसमें अपराधी लोगों को ऑनलाइन गिरफ्तार दिखाकर उन्हें डराते हैं और उनसे धन की मांग करते हैं।
सीबीआई की जांच कब शुरू होगी?
सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देश दिया गया है कि वह तुरंत जांच शुरू करे, लेकिन वास्तविक समय सीमा अभी निर्धारित नहीं की गई है।
क्या सरकार डिजिटल अरेस्ट को रोकने के लिए कदम उठा रही है?
हाँ, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को साइबर क्राइम सेंटर स्थापित करने का निर्देश दिया है ताकि डिजिटल अरेस्ट को रोका जा सके।
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