क्या सीबीआई ने आईटीडीसी के प्रबंधकों को रिश्वत लेते पकड़ा?
सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई की कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम है।
- आईटीडीसी के प्रबंधकों ने रिश्वत मांगी थी।
- रिश्वतखोरी की शिकायतें लंबे समय से आती रही हैं।
- नागरिकों को भ्रष्टाचार की घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए प्रेरित किया गया है।
- यह कार्रवाई जीरो टॉलरेंस नीति का हिस्सा है।
नई दिल्ली, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई करते हुए भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) के एक प्रमुख प्रबंधक को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया।
सीबीआई ने दिल्ली के इंजीनियरिंग एवं प्रबंधन विभाग के वरिष्ठ प्रबंधक और सहायक प्रबंधक को एक ठेकेदार से 40,000 रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। यह कार्रवाई बुधवार को दिल्ली में आईटीडीसी कार्यालय परिसर में की गई।
शिकायतकर्ता एक ठेकेदार था, जिसके लंबित बिलों का भुगतान रुका हुआ था। सहायक प्रबंधक ने बिल पास करने के लिए पहले एक लाख रुपए की रिश्वत मांगी, लेकिन बातचीत के बाद यह रकम 40,000 रुपए पर तय हुई। ठेकेदार ने सीबीआई से शिकायत की।
सीबीआई ने तुरंत बुधवार को मामला दर्ज किया और जाल बिछाया। ठेकेदार को निर्देश दिया गया कि वह निर्धारित रकम लेकर आईटीडीसी दफ्तर जाए। जैसे ही सहायक प्रबंधक ने 40,000 रुपए लिए, वरिष्ठ प्रबंधक भी मौके पर मौजूद था और दोनों ने रिश्वत साझा करने की योजना बनाई थी। सीबीआई की टीम ने दोनों को मौके पर धर दबोचा।
इस मामले में दो आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। इनमें से एक मुख्य आरोपी रिश्वत मांगने और लेने वाला है जबकि दूसरा सह आरोपी है जो रिश्वत में हिस्सा लेने की तैयारी में था। दोनों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में पता चला कि यह पहली बार नहीं था; पहले भी बिल पास करने के नाम पर अनुचित लाभ लिया जाता रहा था।
सीबीआई ने बताया, "भ्रष्ट लोक सेवकों के खिलाफ यह कार्रवाई हमारी जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाती है।" नागरिकों से अपील की कि रिश्वत मांगने की कोई भी घटना सीबीआई को जरूर बताएं।
गौरतलब है कि आईटीडीसी एक सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी है, जो होटल अशोक, सम्राट आदि चलाती है। इंजीनियरिंग विभाग में रखरखाव और निर्माण कार्यों के बिल पास करने में देरी और रिश्वतखोरी की शिकायतें पहले भी आती रही हैं।